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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Friday, May 28, 2021

ग़ज़ल परेशां आज हर इक आदमी है

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 

#परेशाँ_आज_हर_इक_आदमी_है


परेशाँ आज हर इक आदमी है ।

लपेटे हर किसी को मुफ़लिसी है ।

ठहरती जो नहीं बहती अकड़ में,

समंदर में समा जाती नदी है ।

सताते थे रुलाते थे हमें पर,

तुम्हारी ही हमें खलती कमी है ।

हमें धोखा मिला जब बेवफ़ा से,

जिगर में आग आँखों में नमी है ।

कहाँ सोए कहाँ जागे करे क्या ?

ठिकाना ढूंढती आवारगी है ।

ज़रा फ़िर से मेरा तू जाम भर दे,

नशीली शाम अब ढलने लगी है ।

समंदर हैं कई नदियाँ निगलते,

बड़ी ज़ालिम हमारी तिश्नगी है ।

मिला के खीर में अमृत खिलाती,

शरद पूनम की ये जो चाँदनी है ।

फँसी है जान आफ़त में सभी की,

मगर देखो उन्हें अपनी पड़ी है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-31102020

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