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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Friday, May 28, 2021

गीत

 #अवधेश_की_कविता #इन_दिनों_जो_हो_रहा_है 


इन दिनों जो हो रहा है, वो नहीं पहले हुआ है ।

बद्दुआएँ फल रही हैं, बेअसर लगती  दुआ है ।

आदमी ही आदमी से, आज कितना डर रहे हैं ।

साँस के व्यापार  वाले, पाप से घर भर रहे हैं ।


काम धंधे छिन गए सब, भीख में रोटी मिली है ।

पापियों के कारनामे, देखकर दुनिया हिली है ।

बस दवा उपचार में ही, बिक गया  घर खेत सोना ।

बच गए गंगा नहाई, अब चलो नव बीज बोना ।


गाँव से आये शहर में, जान अपनी जो बचाने ।

अस्पतालों में पलंग भी, हैं नहीं उनको लिटाने ।

भाग्य से उपचार अच्छा, मिल गया तो बच गए वो ।

देर से पहुँचे यहाँ जो, कुछ नया ही रच गए वो ।


वृद्ध बच्चो नौजवानो, सब रखो अब सावधानी ।

बस यहाँ वो ही बचेगा, बात जिसने जान मानी ।

दूर दो गज पर रहे जो , मास्क पहने हाथ धोए  ।

भीड़ से जो दूर रहता, चैन की वो नींद सोए ।


माँ बहन भाई पिता जी,  पत्नि या पति संक्रमित हों ।

परिजनों को हो मुसीबत, संक्रमित पर वो कुपित हों ।

नोंचते मृत देह को भी, गिद्ध बनकर आदमी ही ।

बच रहा अंतिम क्रिया से, पाप सनकर आदमी ही ।


आपदा अवसर बनाते, कर रहे व्यापार काला ।

राजनेता लोक सेवक, खोलते खुद बंद ताला ।

माफिया हर क्षेत्र के ही, आय दुगनी कर रहे हैं ।

लुट गया हर नागरिक पर, वो तिजोरी भर रहे हैं ।


रोग से लड़ता वही तन,  बढ़ रही हो शक्ति जिसकी ।

ये महामारी मिटेगी, जब लगे वैक्सीन इसकी ।

देश है मुश्किल घड़ी में, देशवासी डर रहे हैं ।

इस समय 'अवधेश' भी तो, कष्ट सबके हर रहे हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 26052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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