#मुक्तक #अवधेश_की_कविता
जब तुम्हारे राज में जुर्म इतने हो रहे।
तुम स्वयं अपराधियों के खून धब्बे धो रहे ।
शर्म आती हो अगर तो शीघ्र कुर्सी छोड़ दो ।
न्याय बेटी को दिलाओ वर्ग बंधन तोड़ दो ।
भक्त हो गर राम के तो सीख भी लो राम से ।
दंड दो अपराधियों को राम के ही धाम से ।
ढोंग करना छोड़ दो अब बात मेरी मान लो ।
योग करना राज करना हैं अलग ये जान लो।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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