#मुक्तक #अवधेश_की_मुक्तक #अवधेश_की_कविता
हिना हाथों रची मेरे तुम्हारे नाम की प्रियतम।
लगाओ देर मत बिल्कुल चले आओ मेरे हमदम।
बनो दूल्हा चढ़ो घोड़ी सजी बारात ले आओ,
बनी दुल्हन सपन देखूँ मिलेंगे शीघ्र ही तुम हम ।
अवधेश कुमार सक्सेना-07092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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