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#अवधेश_की_शायरी
#दोस्ती_करके_दगा_की_कुछ_जरूरत_के_लिए
दोस्ती करके दगा की कुछ ज़रूरत के लिए ।
अब सजा उसको मिलेगी नीच हरकत के लिए ।
देश की ख़ातिर जिन्होंने जान भी कुर्बान की,
सर झुका है उन शहीदों की शहादत के लिए ।
दूसरों के काम में हम इस कदर मशगूल हैं,
वक्त बचता ही नहीं है अब अदावत के लिए ।
रो रहे शिशु को हँसाना या गरीबों की मदद,
ये तरीका ही सही है अब इबादत के लिए ।
जीत लोगे इस जहाँ को नफ़रतों के दौर में,
कुछ जगह दिल में रखो तुम गर मुहब्बत के लिए ।
सर झुका कर तुम ख़ुदा से माँग लो जो चाहिए,
शुक्रिया करते रहो उसकी इनायत के लिए ।
मुश्किलों से है कमाई आज ऊँची शान है,
दाँव पर सब कुछ लगा दो अपनी इज्ज़त के लिए ।
अवधेश कुमार सक्सेना-02092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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