#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#दूर_हो_तुमने_बना_लीं_दूरियाँ
दूर हो तुमने बना लीं दूरियाँ ।
रास मुझको आ रहीं तनहाइयाँ ।
हार दुश्मन को मिलेगी अब यहाँ,
दोस्ती जीतेगी सारी बाजियाँ ।
जब कभी गुस्सा बहुत आने लगे,
ठीक रहतीं तब बहुत खामोशियाँ ।
हम समझते हैं तुझे तू मत चला,
चल नहीं सकतीं तेरी चालाकियाँ ।
चाल है कोई बड़ी ये आपकी,
कर रहे इतनी यहाँ पर सख्तियाँ ।
खुद गिरोगे एक दिन इनमें कभी,
खोद नफ़रत की रहे जो खाइयाँ ।
जब बिगड़ता काम इनसे आपका,
मत करो फिर से वही तुम गलतियाँ ।
मिट गईं चिंता किसानों की सभी,
देख गेंहूँ की सुनहरी बालियाँ ।
ताल गहरा है बहुत मोती भरा,
तुम उतर कर नाप लो गहराइयाँ ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 20092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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