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#पास_में_हमको_बिठाया_कीजिए
पास में हमको बिठाया कीजिए ।
कुछ सुनो फिर कुछ सुनाया कीजिए ।
जब निराशा घेर ले तुमको कभी,
आस का दीपक जलाया कीजिए ।
आपके बिन हम नहीं रह पाएँगे,
यूँ नहीं हमको पराया कीजिए ।
मत लुटाओ आप दौलत इस तरह,
वक्त आड़े को बचाया कीजिए ।
साथ बीबी के रहोगे चैन से,
नाज नखरे भी उठाया कीजिए ।
रात गहरी नींद उड़ती हो कभी,
ख़्वाब में हमको बुलाया कीजिए ।
रो मचल सर पर उठाए आसमाँ,
हाथ झूले में झुलाया कीजिए ।
दूध का हो खून का या प्यार का,
कर्ज़ जो भी हो चुकाया कीजिए ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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