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आँसुओं से शमाँ जलाई है ।
तीरगी हर तरफ़ मिटाई है ।
वो लगा के चले गए ठोकर,
चोट गहरी किसी ने खाई है ।
ज़िंदगी में बहुत अँधेरा था,
रोशनी आपने दिखाई है ।
इश्क़ में क्या मिला हमें अब तक,
ये जवानी मगर गँवाई है ।
हो गए दूर वो नज़र से पर,
याद उनकी नहीं भुलाई है ।
हो गया इश्क़ अब उन्हें हमसे,
हमने ऐसी ग़ज़ल सुनाई है ।
दीप से दीप अब जलाए हैं,
प्रेम गंगा नई बहाई है ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 18092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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