Featured Post

परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Thursday, September 17, 2020

ग़ज़ल आज बीरान हैं जो शहर थे यहाँ

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल

#अवधेश_की_शायरी 

#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल 


#आज_बीरान_हैं_जो_शहर_थे_यहाँ


आज बीरान हैं जो शहर थे यहाँ ।

खण्डहर से हुए हैं जो घर थे यहाँ ।


वो वहीं से हमें प्यार करते रहे,

हम मगर आज तक बेखबर थे यहाँ ।


छाँव जिनकी घनी मिल रही थी हमें,

अब नहीं दिख रहे जो शज़र थे यहाँ ।


हाथ खाली हुए बंद धंधे सभी,

था उसे काम जिसमें हुनर थे यहाँ ।


राह मुश्किल बड़ी दूर मंज़िल खड़ी,

हमसफर था नहीं पर सफ़र थे यहाँ ।


झुक गई है कमर झुर्रियाँ पड़ गईं,

देख जर्ज़र हुए जो अज़र थे यहाँ ।


कँपकँपा रहे सर्द दिन थे कभी,

साथ में गर्म से दोपहर थे यहाँ ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-18092020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

No comments:

Post a Comment