#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी
#वक्त_अपना_यूँ_नहीं_जाया_करो ।
वक्त अपना यूँ नहीं जाया करो ।
कामयाबी के हुनर पैदा करो ।
दूसरों को ही फ़लक दिखला रहे,
खुद के वारे में कभी सोचा करो ।
तुम ख़ुदा के बाग के इक फूल हो,
बाँटने ख़ुशियाँ यहाँ महका करो ।
ये मिली है बस तुम्हें इक बार ही,
ज़िन्दगी से तुम नहीं शिकवा करो ।
सुन चुके हम ढेर सारी आपकी,
बात छोड़ो काम भी अच्छा करो ।
देश में अब चैन से सब रह सकें,
सैनिकों का हौसला ऊँचा करो ।
मामले पल में सुलझ जाते सभी
छोड़ झगड़ा प्यार से चर्चा करो ।
हो गई गलती अगर तुमसे यहाँ,
शर्म डर की बात क्या तौबा करो ।
जीतना गर चाहते हो खेल में,
हो बढ़ा कितना हदफ़ पीछा करो ।
अवधेश कुमार सक्सेना -02092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
*हदफ़=लक्ष्य
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