#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#नादान _मुसाफ़िर_को _बेख़ौफ़_गुजरने_दो
नादान मुसाफ़िर को बेख़ौफ़ गुजरने दो ।
अरमान रखो दिल में हालात बदलने दो ।
आवाद मुहब्बत है मज़बूत इरादे हैं,
दिलदार बनो दिल के जज़्बात मचलने दो ।
मत रोक लगाना तुम मत टोक लगाना तुम,
सावन को ज़रा खुल के इस बार बरसने दो ।
माँ बाप बुढ़ापे में अशफ़ाक तुम्हारे हैं,
अत्फाल बनो अच्छे उनको न तड़पने दो ।
आकाश बहुत नापा आराम ज़रा करने,
आज़ाद परिंदों को छत पर भी उतरने दो ।
मजबूर हुए हैं वो गमगीन बहुत ज़्यादा,
आगोश भरो उनको मत और सिसकने दो ।
इस पाक मुहब्बत में बेचैन बहुत हैं हम,
दीदार हमें करने मत और तरसने दो ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-19092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
*अशफ़ाक =सहारा
** अत्फाल= बच्चे
No comments:
Post a Comment