#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिंदुस्तानी_ग़ज़ल
#क्या_पता_क्या_गिला_हो_गया ।
क्या पता क्या गिला हो गया ।
आशना क्यों ख़फ़ा हो गया ।
अब हमें होश आता नहीं,
क्या पिया जो नशा हो गया ।
हम वफ़ा पर वफ़ा कर रहे,
पर सनम बेवफा हो गया ।
आसरा इल्म सबको दिया,
फ़र्ज़ अपना अदा हो गया ।
ज़िंदगी में उन्हें पा लिया,
प्यार का सिलसिला हो गया ।
इश्क़ में जो ज़रा शक हुआ,
बीच में फासला हो गया ।
जो हुआ वो नहीं था सही,
ये गलत फ़ैसला हो गया ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-24092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment