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परिचय

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Wednesday, September 2, 2020

ग़ज़ल हिमालय को पिघलना चाहिए था

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#हिमालय_को_पिघलना_चाहिए_था ।


हिमालय को पिघलना चाहिए था ।

ज़रा सूरज चमकना चाहिए था ।


अटरिया पर बने इन घोंसलों में,

परिंदों को चहकना चाहिए था ।


मुहब्बत थी अगर हमसे कभी तो, 

उन्हें इजहार करना चाहिए था ।


सदर पे आ गई कितनी चमक है,

शहर को भी निखरना चाहिए था ।


खिले हैं फूल गुलशन में सनम के,

उन्हें अब तो सँवरना चाहिए था ।


पतंगा जल रहा था प्यार में जब,

शमाँ का मोम बहना चाहिए था ।


उन्होंने प्यार में धोखा दिया तो,

तुम्हें उनसे झगड़ना चाहिए था ।


अगर वो पास में आ ही गए थे,

उन्हें कस के जकड़ना चाहिए था ।


खिलौना मांगने अब खेलने को,

कोई बच्चा मचलना चाहिए था ।


अवधेश कुमार सक्सेना - 02092020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

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