#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी #हिन्दुस्तानी_ग़ज़ल
#प्रेम_रस_का_गीत_फिर_गाना_हमें ।
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प्रेम रस का गीत फिर गाना हमें ।
अब उसे हर हाल में पाना हमें ।
हम हमेशा आपके ही साथ थे,
आपने कुछ देर से जाना हमें ।
आप जो भी काम बोलो वो करें,
पेट भरने चाहिए दाना हमें ।
आज भागीरथ हिमालय से कहे,
अब नई गंगा बहा लाना हमें ।
भूख खुशियों की लगी थी जोर की,
ज़िन्दगी के गम पड़े खाना हमें ।
ठोकरें खाते रहे थे राह में,
अब जहां भर ने खुदा माना हमें ।
आपकी खातिर जमाने से लड़े,
मारते हो आप ही ताना हमें ।
खूब अपनापन दिखाकर आपने,
कर दिया फिर आज बेगाना हमें ।
अवधेश कुमार सक्सेना -01092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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