#अवधेश_की_कविता #मत्त_सवैया_छंद में एक रचना
काम नहीं कुछ आ सकती जब,
ये धन दौलत और कमाई ।
तो फिर क्यों करता रहता श्रम,
क्यों फिर इसमें जान फँसाई ।
छोड़ सभी जग के अब बंधन,
झूठ इन्हें कहते सब भाई ।
मान उसे जिसने यह सुंदर,
जीवन की बगिया महकाई ।
नाम जपें जब राम सिया तब,
काम सभी बनने लगते हैं ।
ध्यान लगे जब कृष्ण पदों पर,
कष्ट सभी मिटने लगते हैं ।
भक्ति करें जब ध्यान लगा कर,
राम कृपा करने लगते हैं ।
प्रेम रहे बस ईश्वर से तब,
पुष्प सुधा खिलने लगते हैं ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 28092020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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