#दोहे #अवधेश_की_कविता
बीज अंकुरित तो हुआ, बढ़ा नहीं दो फीट ।
खाद पानी मिला नहीं, खाते इसको कीट ।
अब तक गंगा में बहा, कितना पावन नीर ।
लग न सका पर आपका, सही निशाने तीर ।
गुरु की महिमा मान लो, ले लो उनसे ज्ञान ।
सीखो जिनसे कुछ यहाँ, रखना उनका मान ।
दोहे सुंदर तब बनें, पालन करें विधान ।
मात्राएँ पूरी लगें, तुक का भी हो ध्यान ।
हिंदी की ईंटें लगें, देशी बालू सान ।
शब्द नए सीमेंट से, बढ़िया बने मकान ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 07102020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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