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परिचय

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Thursday, October 22, 2020

ग़ज़ल ख़्याल जाते नहीं

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी


#ख़्याल_जाते_नहीं 


फोन हमको कभी तुम लगाते नहीं ।

क्या कभी हम तुम्हें याद आते नहीं ।


प्यास पल में बुझे प्यार की प्यार से,

पास अपने कभी तुम बुलाते नहीं ।


नींद सुख की लगे हम कभी पास हों,

पास अपने कभी तुम सुलाते नहीं ।


फूल कैसे खिलें धूम कैसे मचे,

खुद लिखे सुर सजे गीत गाते नहीं ।


स्वाद आता नहीं अब किसी भी चीज में,

अब कभी हाथ से तुम खिलाते नहीं ।


हम समझते यही चाहते हो हमें,

प्यार दिल से किया पर जताते नहीं ।


हम तुम्हें याद कर हैं परेशाँ बहुत,

आ गए जो कभी ख़्याल जाते नहीं ।


इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना-19102020

शिवपुरी, मध्य प्रदेश 

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