#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी
#ख़्याल_जाते_नहीं
फोन हमको कभी तुम लगाते नहीं ।
क्या कभी हम तुम्हें याद आते नहीं ।
प्यास पल में बुझे प्यार की प्यार से,
पास अपने कभी तुम बुलाते नहीं ।
नींद सुख की लगे हम कभी पास हों,
पास अपने कभी तुम सुलाते नहीं ।
फूल कैसे खिलें धूम कैसे मचे,
खुद लिखे सुर सजे गीत गाते नहीं ।
स्वाद आता नहीं अब किसी भी चीज में,
अब कभी हाथ से तुम खिलाते नहीं ।
हम समझते यही चाहते हो हमें,
प्यार दिल से किया पर जताते नहीं ।
हम तुम्हें याद कर हैं परेशाँ बहुत,
आ गए जो कभी ख़्याल जाते नहीं ।
इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना-19102020
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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