#प्रियामृतावधेश
#सच
बच
पाया
नहीं यहाँ
कोई उससे
हो चाहे गरीब
मंत्री या फिर राजा
भेद नहीं करता इनमें
लिंग जाति धर्म भाषा क्षेत्र
सब एक जैसे उसकी नज़र में ।
शाख पत्ते जैसे हों शज़र में ।
सृजन पालन करता जो यहाँ
वही संहार का कारण
प्रकृति के अपने नियम
इन्हीं से चलता सब
मान लो इन्हें
रह लो खुश
बोलो
सच
अवधेश सक्सेना-26072020
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