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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Saturday, July 11, 2020

प्रेतात्मा को रोना पड़ेगा


प्रेतात्मा को रोना पड़ेगा ।
कहानी

गाँव के बाहर एक पुरानी हवेली थी, उस हवेली के वारे में तरह तरह की चर्चाएं चलती रहती थीं, गाँव के लोगों में ये धारणा बन चुकी थी कि हवेली में कोई प्रेतात्मा रहती है, कोई भी उस हवेली में नहीं जाता था, शाम के बाद या रात को तो लोग उस रास्ते पर ही नहीं जाते थे । किसी आदमी को अगर कोई बीमारी होती तो ये मान लेते थे कि ये जरूर उस हवेली के रास्ते पर गया होगा । तीन चार हत्याएं भी उस हवेली के बाहर हो चुकीं थीं ।
प्रशासन और पुलिस के लोग भी इन चर्चाओं से प्रभावित होकर उस हवेली से दूरी बनाकर चलते थे ।
गाँव का जमींदार लोगों को सचेत करता रहता था कि उस हवेली की तरफ कोई नहीं जाएगा, लोगों के दिमाग में हमेशा प्रेतात्मा का डर बैठा रहता था ।  कुछ हिम्मत वाले युवा कभी कोशिश भी करते थे, प्रेतात्मा की हकीकत जानने की तो उन्हें डांट डपट कर वहाँ जाने से रोक दिया जाता था ।
एक बार एक साहसी थानेदार वहाँ के थाने में आया,हवेली की चर्चाएं सुनकर उसे आश्चर्य हुआ कि यहाँ के लोग भूत प्रेत वाली बातों पर विश्वास करते हैं । गाँव के जमींदार के आमंत्रण पर जब वो उनके महल जैसे बने हुए आवास पर पहुंचा तो जमींदार ने अच्छी आव भगत की, चाय नाश्ता कराया, जमींदार ने भी हवेली से जुड़े डरावने किस्से सुनाए ।  उसने सोचा कि वो वहाँ जाकर देखेगा, उसने साथी पुलिस वालों से इस वारे में बात की तो सभी ने वही डरावनी कहानियां सुना दीं और सभी ने वहाँ जाने से साफ मना कर दिया । उससे भी कहा कि वो भी वहाँ जाने का विचार मन से निकाल दे । वो एक साहसी नौजवान था, जितना उसे रोका जा रहा था उतना ही उसका जाने का मन हो रहा था । उसका बचपन का दोस्त पास के शहर में पत्रकारिता करता था । किसी दुर्घटना के सिलसिले में वो उस गाँव के थाने में आया था, दोनों दोस्तों में बातें हुईं, पत्रकार दोस्त को थानेदार ने रोक लिया कि आज ठहर जाओ, कल चले जाना । बातों बातों में हवेली की बात थानेदार ने पत्रकार को बताई । पत्रकार भी उसी की तरह साहसी था और खोजी तो था ही, पत्रकारिता में खोजी लोग ही सफल होते हैं । दोनों मित्रों ने हवेली की हकीकत पता करने का निश्चय कर लिया । दोनों दोस्त उसी रात उस हवेली पर पहुंच गए । गेट पर पुराना जंग लगा ताला लगा था । टॉर्च की रोशनी में बाउंड्री के बाहर से चक्कर लगाते हुए वो लोग एक ऐसी जगह पहुंचे जहाँ बाउंड्री की दीवाल टूटी थी और लकड़ियों से गेट जैसा बना था, वहाँ से अंदर देखा तो अंदर कुछ रोशनी नजर आयी, कुछ सामान खिसकने जैसी आवाजें भी आ रहीं थीं । उन दोनों ने लकड़ी के उस गेट के पास थोड़ी सी जगह में से अंदर जाने के लिए जैसे ही अंदर पैर रखे एक काली बिल्ली उनके बिल्कुल पास से निकल गयी । धीरे-धीरे वो आगे बढ़े और हवेली के अंदर पहुँच गए, रोशनी की तरफ बढ़े तो आवाजें साफ सुनाई देने लगीं, कुछ खुसुर-पुसुर भी सुनाई दी, जैसे कोई बात कर रहा हो । वो अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ रहे थे, अचानक एक चमगादड़ फड़फड़ाती हुई उनके सिर के ऊपर से निकल गई ।
रोशनी वाले कमरे की तरफ पहुँचे तो दरवाजे की चरचराहट हुई और दरवाजे के पास किसी की परछाईं नजर आयी, वो दोनों सोच में पड़ गए कि इतनी रात को यहाँ कौन हो सकता है । वो छुप कर देखने लगे ।  उन्हें आभास हो गया कि यहाँ कुछ लोग मौजूद हैं ।
थानेदार ये देखकर चौंक गया कि जो जमींदार कुछ दिन पहले उससे इस हवेली में जाने से मना कर रहा था वो खुद यहाँ पर है और किसी अन्य व्यक्ति से कुछ बात कर रहा है । अब वो दोनों ऐसी जगह छुप गए जहाँ से उन्हें अंदर की गतिविधि भी दिखने लगी और उन्हें कोई देख भी नहीं सकता था । उन्होंने देखा कि कुछ लोग छोटे छोटे पॉलीथिन के पाउच में सफेद पाउडर भर रहे हैं । उसे जानकारी मिली थी कि नशे के पॉवडर की सप्लाय इसी इलाके से होती है । उसने बहुत छानबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था, अब सब कुछ साफ साफ दिख रहा था । दोनों दोस्तों को सारा माजरा समझ में आ गया ।  थानेदार ने रिवॉल्वर निकाली और जल्दी से उन लोगों के सामने पहुंचकर जमींदार पर तान दी । नशे के अवैध कारोबार के जुर्म में जमींदार और उसके आदमियों को गिरफ्तार करके थानेदार थाने में ले आया । क्रमशः....

(कहानी भाग-2)
जमींदार ने थानेदार से विनम्र बनते हुए कुछ बात करने को कहा, थानेदार ने कहा कि बोलो क्या बात करना चाहते हो, उसने कहा कि थानेदार साहब आप तो हुकुम करो आपको क्या चाहिए, जो आप कहोगे आपकी सेवा में हाजिर कर देंगे । हम से मिलकर चलो मालामाल हो जाओगे, आपके इस दोस्त को भी मुँह मांगा इनाम मिल जाएगा । थानेदार ने जमींदार के गाल पर तमांचा जड़ दिया और बोला कि मैं बिकने वाला थानेदार नहीं हूँ, पत्रकार दोस्त जो अपनी डायरी में घटना का विवरण लिख रहा था, जमींदार से बोला कि तुम्हारा खेल खत्म हो गया जमींदार जी मेरे इस दोस्त की ईमानदारी को मैं बचपन से जानता हूँ, स्कूल की फुटबॉल टीम में सिलेक्शन के लिए जब खेल शिक्षक ने एक किलो घी मँगाया था तो इसने टीचर में ही चांटा मार दिया था । कल के अखबार में तुम्हारे इन काले कारनामों की खबर दुनिया पढ़ेगी । थानेदार ने जमींदार को उसके आदमियों के साथ ही लॉक अप में बंद कर दिया । थाने का हवलदार थानेदार के पास आकर बोला कि साहब ये जमींदार ज्यादा बोलता नहीं है, पर है बहुत खतरनाक, इसकी बात न मानने वाले थानेदार इस थाने में टिक नहीं पाते । इतने में फोन की घण्टी बजी, थानेदार ने फोन उठाया, उधर से आदेशात्मक स्वर में  आवाज आई, थानेदार ने जय हिंद बोलकर अभिवादन किया, फोन करने वाले ने बोला कि तुमने जिस जमींदार को पकड़ा है वो नेताजी का खास आदमी है, उस को तुरंत छोड़ दो नहीं तो हम सब मुश्किल में पड़ जाएंगे । थानेदार बोला लेकिन सर, सर उधर से आवाज आई कि मैं कुछ नहीं सुनूँगा जो कहा है वो करो और फोन कट गया । थानेदार को अपना अपमान लगा और तिलमिला उठा, गुस्से से भर गया और लॉक अप में पहुंचकर जमींदार और उसके आदमियों को लात घूंसों से मारते हुए अपना गुस्सा शांत किया । हवलदार को बुलाकर प्रकरण तैयार करने की कार्यवाही करने लगा । हवलदार ने फिर निवेदन की मुद्रा में समझाने की कोशिश की कि साहब मान जाओ, ठीक रहेगा । थानेदार ने हवलदार को डपट दिया कि मैं जो कह रहा हूँ करो ।
थोड़ी देर बाद फिर फोन आया, पूछा कि तुमने बात नहीं मानी, थानेदार बोला कि सर आप मुझे यहाँ से ट्रांसफर करा सकते हैं, लेकिन मैं जब तक यहाँ ड्यूटी पर हूँ, वही करूँगा जो कानूनी रूप से मुझे करना चाहिए । उधर से आवाज आई कि तो फिर तुम्हारी मर्जी, परिणाम भुगतने को तैयार रहो ।
कुछ ही देर बाद कुछ आदमी और एक औरत वहां आए और वो औरत  हवलदार से बोली कि थानेदार और इसके दोस्त ने रात में मेरे घर में जबरदस्ती घुसकर मेरे साथ बलात्कार किया है, मेरा पति जमींदार साहब के घर पर काम करता है और जब ये लौटा तो मैंने इसे सब बता दिया, थानेदार ने डरा दिया था कि किसी को बताया तो जेल में डाल दूँगा । उसका पति बोला कि जब मैंने जमींदार साहब को सब बताया और जमींदार साहब ने थानेदार से बात करनी चाही तो उन्हें पिस्तौल दिखाकर डरा दिया और लॉकअप में बंद कर दिया । हवलदार साहब तुम तो यहाँ सबको जानते हो, देवता जैसे गाँव के जमींदार साहब के साथ ये क्या कर रहा है, इस पापी की रिपोर्ट लिखो और इसे थाने से बाहर करो हम इसको सबक सिखाएंगे ।
कुछ लोग और इकट्ठे हो गए, पूरे गाँव में चर्चा होने लगी कि थानेदार और उसके पत्रकार दोस्त ने जमींदार के घर पर काम करने वाले आदमी की औरत को घर में अकेला पाकर बलात्कार कर दिया और जमींदार के आने पर उस पर भी झूठा केस लगा रहा है । देखते-देखते मशालें लिए हुए भीड़ थाने की तरफ बढ़ी चली आ रही थी, थानेदार ने फोन लगा कर जानकारी देने और सहायता की मांग करना चाही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया । जमींदार का वो आदमी जिसकी पत्नी बलात्कार की घटना बता रही थी, थानेदार को पकड़ने थानेदार की तरफ बढ़ा तो थानेदार ने पिस्तौल निकालकर हवाई फायर किया, कुछ देर के लिए भीड़ तितर बितर हुई, लेकिन कुछ लोग बहुत गुस्से में थे जिनके हाथ में लाठी, फरसे और बंदूकें भी थीं । उन्होंने थानेदार की पिस्तौल छुड़ानी चाही तो थानेदार ने सामने से छुड़ाने वाले आदमी में गोली मार दी,तब तक कुछ लोगों ने पत्रकार को पकड़कर थाने के बाहर खींच लिया और लात घूंसों से मारने लगे, इधर गोली लगने पर वो आदमी छटपटाकर गिर पड़ा । इतने में एक आदमी ने थानेदार के सिर पर बंदूक की नली रख दी और पिस्तौल छुड़ा ली । पिस्तौल हाथ से छूटते ही कई लोगों ने मिलकर थानेदार को भी बाहर खींच कर लात घूंसों से मारना शुरू कर दिया, थाने के हवलदार और सिपाही एक तरफ खड़े-खड़े सब देख रहे थे, जमींदार के इशारे पर लॉकअप का ताला खोल दिया, जमींदार और उसके आदमी बाहर निकल आए । थानेदार और उसका दोस्त पत्रकार भीड़ से बुरी तरह पिट रहे थे । जमींदार ने दोनों को देखकर कुटिल मुस्कान बिखेरी, एक निगाह अपने लठैतों की तरफ डाली और इशारा समझते ही लठैतों ने दोनों के सिर पर लाठियां मार कर उनकी निर्मम हत्या कर दी । देश के कानून की रक्षा करते हुए एक ईमानदार और साहसी  थानेदार और निर्भीक कर्तव्यपरायण पत्रकार शहीद हो गए । जमींदार गाँव वालों से कह रहा था कि मैंने मना किया था शाम के बाद हवेली वाले रास्ते पर मत जाना, ये माने नहीं और उधर चले गए । प्रेतात्मा इनके अंदर घुस गई और इनसे पाप कराके इन्हें मार भी दिया ।

                                                   क्रमशः
भाग 3
थानेदार और पत्रकार की हत्या की सूचना जिले के पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तक पहुंच गई, कलेक्टर और एस. पी . भी पुलिस बल के साथ घटना स्थल पर पहुंच गए । पुलिस अधीक्षक ने  दूसरे थानेदार की पदस्थापना थाने में कर दी । कई समाचार पत्रों के संवाददाता भी पहुँचे, मृत थानेदार और पत्रकार के शव पास के शहर में पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए और पोस्टमार्टम के बॉस वहीं से उनके परिजनों को  सौंप दिए गए अगले दिन जब दोनों के परिजन उनका अंतिम संस्कार कर रहे थे, समाचार पत्रों में उनके वारे में लोग पढ़ रहे थे कि उन्होंने एक महिला का बलात्कार किया और गुस्साई भीड़ ने उन्हें पीट -पीट कर मार डाला । 
गाँव में पहुँचे नए थानेदार को हवलदार ने पूरी कहानी बताई और जमींदार से पंगा न लेने की सलाह भी दी, थानेदार ने भी जमींदार से मिलकर चलने का निश्चय कर लिया । जमींदार के बुलावे पर थानेदार ने जमींदार से मुलाकात की तो जमींदार ने हवेली की कहानियाँ सुनाईं, थानेदार समझ गया कि जरूर जमींदार का कोई अवैध काम पुरानी हवेली में होता होगा, तो उसने कहा कि जमींदार साहब पुरानी हवेली में आपको जो करना है करो हमें क्या करना, आप तो हमें बताओ कि हम आपके किस काम आ सकते हैं, जैसा आप कहोगे हम बैसा ही करेंगे । जमींदार भी यही चाहता था, दारू मुर्गा की पार्टी हुई और चलते समय जमींदार ने एक लिफाफा थानेदार को थमा दिया । थानेदार भी खुश हो गया । 


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