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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Thursday, October 22, 2020

अनुक्रमणिका

 अनुक्रमणिका

1 खा रहीं हैं रोटियॉँ

2 अकेली डगर से

3 कतआ

4 गुलाबों सी महक होगी

5 मीठे सपने दिखाकर 

6 मत कहना भगवान नहीं है

7 चाँद तो बढ़ता रहा

8  कहो आपको क्या मुहब्बत नहीं 

9 हसरत एक पलती है

10 मौसम सुहाना याद है

11 न वो मौसम हवाओं के 

12 गेंहूँ की बालियों से 

13 पर्दा बस निगाहों का रहे

14 गंगा में नहाया जाए

15 सँवरने की ज़रूरत  क्या है 

16 आप घर का कभी पता देते

17 वो मनाता भी नहीं

18 परम्परा एक डाल देंगे

19 ये सबक बढ़िया मिला

20 अहसास पर्वत के

21 भगवान साथ चलता है

22 पाक मुहब्बत है

23 वो आया निखरकर ही

24 मील के पत्थर 

25 गुनगुनाते रहे हैं

26 प्यार के सिलसिले हो गए

27 ये पर्दा हटा दो

28 रंगत बदलती जा रही है 

29 गीत हमने खुशी के गाए हैं 

30 कहीं और दिल को लगाया कहाँ है

31 जनता को रुलाते देखा

32 देश से मुहब्बत की

33 हमें देख वो मुस्कुराने लगे हैं

34 बाग में फूलों के जैसे तितलियाँ

35 अगर हमसे मुहब्बत है

36 सूरत दिलनशीं की

37 दिल तो मिलाओ कभी

38 आंखे

39 हर जंग जीतते हैं

40 कत आ -कभी मांगते थे

41 तुझे मैं चाँद ला दूँगा

42 मामला क्या है

43 अकेले सफ़र में

44 रिश्ता नहीं निभाया है

45 आदमी मैं आम था

46 शिकायत क्या

47 देखो ज़रा नज़ारे

48 वक़्त ये भी हमारा निकल जाएगा

49 करिश्मे हमें वो दिखाता है

50 प्यार का तोहफ़ा हो गया

51 जगाते रहो

52 पत्थर हटाते रहो

53 ख़िलाफ़त रहे

54 मिलेगी खुशी कभी

55 गाते हुए सुनाना

56 वीर मरते नहीं

57 इनायत हो रही है

58 कौन समझेगा हमारी बेकसी को

59 दिल बेकरार शामिल है

60 ज़रा अहसान कर दो 

61 बंद मैखाना हुआ

62 सफ़र ज़िन्दगी

63 प्यार का इज़हार है

64 वो इतराते हैं

65 ये खुशी कैसे कहूँ

66 फूल तो खिला नहीं

67 सम्हलना चाहिए था

68 ज़ख्म दिखाया नहीं गया

69 बस इक ख़ुदा से डरते हैं

70 किस्सा नहीं है

71 ख़्वाब तू माँ बाप के साकार कर

72 रोशनी रह गई  

73 तुम्हीं से प्यार करना है

74 सोच से नफ़रत निकल कर जो गई

75 बेवफ़ाओं से प्यार कौन करे

76 आपको मुझसे कहो कोई शिकवा तो नहीं

77 ख़ुदा का काम है यारो

78 तीरगी जब इधर हो गई

79 प्रेम रस का गीत फिर गाना हमें

80 दोस्ती करके दगा की

81 वक़्त अपना यूँ नहीं जाया करो

82 हिमालय को पिघलना चाहिए था

83 कली खिली जो ज़रा चमन में 

84 आरज़ू मिट गई आसरा मिल गया

85 परेशाँ हैं पाबंदियों से

86 जीतना हो युद्ध अगर अधिकार का

87 मर्ज़ बढ़ते रहे पुराने भी

88 आज बीरान हैं जो शहर थे यहाँ

89 आँसुओं से शमाँ जलाई है

90 किनारे मैं देखता जा रहा हूँ

91 जब मिला धोखा मिला है

92 नादान मुसाफ़िर को बेख़ौफ़ गुज़रने दो

93 दूर हो तुमने बना लीं दूरियाँ 

94 वो नज़र आ रही रोशनी की तरह

95 पास में हमको बिठाया कीजिए

96 भागती मुश्किलें और डर देखिए

97 सुलह के कुछ नहीं आते नज़र आसार 

98 आस के दीप पास जलते हैं

99 क्या पता क्या गिला हो गया

100 चलो आस का एक दीपक जलाएँ

101 जल रहा था वो दिया

102 याद आते नहीं 

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फोटो


 

परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना

पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना

शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., PGD Rural Development

विधा-  1-छंद (मात्रिक एवं वर्णिक) 2-गीत, 3-मुक्तक, 4-छंद मुक्त, 5-हाइकु, 6-माहिया, 7-कहमुक़री, 8-क्षणिका, 9-टांका, 10-पिरामिड, 11-स्वसृजित मौलिक विधा "प्रियामृतावधेश" 12-ग़ज़ल, 13-नज़्म, 14-रुबाई, 15-क़तआ, 16-कहानी, 17-उपन्यास, 18-व्यंग्य, 19-लघु कथा, 20-संस्मरण, 21-निबंध, 22-तकनीकी आलेख, 23-रिपोर्ताज़, 24-एकांकी, 25-नाटक, 26-नृत्य नाटिका 27-यात्रा विवरण 28-शोध पत्र 29-समीक्षा 30- संवाद 31- प्राकृतिक स्वास्थ्य, योग, तकनीकी, ज्योतिष विषयों पर पुस्तक लेखन साहित्यिक उपलब्धि- 12 साल की उम्र में चंपक,  लोटपोट, वीर अर्जुन में बाल कविताएं प्रकाशित, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, लघु कथा, कहानी प्रकाशित होती रही हैं ।अभियंता विश्व, चित्रांजलि, चित्रांश चेतना पत्रिकाओं के प्रधान संपादक का दायित्व निभाया,पानी रोकने के आसान तरीके, हरियाली के अंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, निरोगी रहने के उपाय, जलग्रहण मार्गदर्शिका पुस्तकें प्रकाशित हुयीं ।  काव्य संग्रह " मैं ही तो हूँ ईश " अमेज़ॉन किंडल पर ई बुक के रूप इन प्रकाशित हो चुका है  गीत संग्रह "प्यार की यही कहानी", "गीता के प्रेरक संदेश और जीवन प्रबंधन " एवं " महायोगी " उपन्यास प्रकाशनाधीन हैं ।  मेरा ये प्रथम ग़ज़ल संग्रह "अकेले सफ़र में" प्रकाशित होकर आपके हाथों में है ।   BCR सिने अवार्ड दिल्ली  में मल्टी टेलेंटेड पर्सनॉलिटी अवार्ड से सम्मानित,कलम बोलती है मंच से श्रेष्ठ रचनाकार का सम्मान, काव्य सरिता मंच द्वारा सम्मान, आई आई टी भुवनेश्वर अल्मा फिएस्टा और हिंदी पंक्तियां का अल्फाज़ सम्मान प्राप्त, हाइकु मंजुषा द्वारा बेस्ट हाइकुकार सम्मान, आगमन प्राइम का स्टार राइटर सम्मान, उत्कृष्ट रचनाकार का सम्मान और कोरोना वारियर का सम्मान प्राप्त, ऑनलाइन कवि सम्मेलन में सहभागिता के कई सराहना पत्र भी प्राप्त हुए हैं,काव्यांकुर साहित्यिक मंच द्वारा काव्य रत्न सम्मान,

निवास का पता  -65, इंदिरा नगर शिवपुरी मध्य प्रदेश 473551

ई मेल awadheshsaxena29@gmail.com 

नाम पता

अवधेश कुमार सक्सेना

65, इंदिरा नगर 

शिवपुरी मध्य प्रदेश- 473551


Awadhesh Kumar Saxena

65, Indira Nagar

Shivpuri MP- 473551


awadheshsaxena29@gmail.com

7999841475


समर्पित

 


मेरे परम पूज्य माता-पिता


स्वर्गीय श्रीमती प्रेमदेवी सक्सेना

स्वर्गीय श्री मुरारी लाल सक्सेना


को याद करते हुए


मेरा ये ग़ज़ल संग्रह

मेरे सभी प्रियजन और मित्रों के साथ-साथ 

आप सभी पाठकों को समर्पित करता हूँ ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

अपनी बात

 अपनी बात


बचपन से ही कविताएँ / ग़ज़लें पढ़ने का शौक लग गया था, शहर में होने वाले कवि सम्मेलनों और मुशायरों को सुनना बहुत अच्छा लगता था, लगभग 12 वर्ष की उम्र से बाल कविताएँ लिखना शुरू कीं जो बाल पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुईं और उनका पारिश्रमिक भी मिला । युवावस्था में समाचार पत्रों में विभिन्न विषयों पर आलेख प्रकाशित हुए, चित्रांजलि और अभियंता विश्व पत्रिकाओं के प्रधान संपादक का दायित्व निभाया । इंजीनियरिंग सेवा में आने के कारण साहित्य सृजन के लिए समय की कमी होने से अपनी कविताओं और ग़ज़लों को संकलित रूप में प्रकाशित कराना संभव नहीं हो पा रहा था लेकिन अब समय मिला तो मेरा काव्य संग्रह "मैं ही तो हूँ ईश "अमेज़ॉन किंडल पर 2 अक्टूबर 2020 को  ई-बुक के रूप में प्रकाशित हो गया है और अब मेरा ये ग़ज़ल संग्रह "अकेले सफ़र में" प्रकाशित होकर आपके हाथ में है । आप इसमें पढ़ेंगे मेरी वो ग़ज़लें जो  प्रेम, करुणा, अध्यात्म, प्रेरणा, प्रकृति आदि विभिन्न विषयों पर बोलचाल वाली हिंदी-उर्दू में लिखीं गईं हैं ।

मुझे विश्वास है कि मेरी ग़ज़लें आपको पसंद आएँगीं ।

मेरा ये प्रथम ग़ज़ल संग्रह है जिसमें आपको कुछ त्रुटियां मिल सकतीं हैं, कृपया त्रुटियों से मुझे अवगत कराएंगे तो मैं इनमें सुधार कर सकूँगा । आपके अमूल्य सुझाव प्राप्त होने पर मुझे खुशी होगी और सुझावों के आधार पर मैं सुधार भी कर सकूँगा ।


साभार धन्यवाद,


आपका ही,


अवधेश कुमार सक्सेना

ग़ज़ल ख़्याल जाते नहीं

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी


#ख़्याल_जाते_नहीं 


फोन हमको कभी तुम लगाते नहीं ।

क्या कभी हम तुम्हें याद आते नहीं ।


प्यास पल में बुझे प्यार की प्यार से,

पास अपने कभी तुम बुलाते नहीं ।


नींद सुख की लगे हम कभी पास हों,

पास अपने कभी तुम सुलाते नहीं ।


फूल कैसे खिलें धूम कैसे मचे,

खुद लिखे सुर सजे गीत गाते नहीं ।


स्वाद आता नहीं अब किसी भी चीज में,

अब कभी हाथ से तुम खिलाते नहीं ।


हम समझते यही चाहते हो हमें,

प्यार दिल से किया पर जताते नहीं ।


हम तुम्हें याद कर हैं परेशाँ बहुत,

आ गए जो कभी ख़्याल जाते नहीं ।


इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना-19102020

शिवपुरी, मध्य प्रदेश 

ग़ज़ल जल रहा था वो दिया

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी


#जल_रहा_था_वो_दिया 

मैं बना अच्छा सभी के साथ अच्छा ही किया ।

ज़ख्म दे डाले किसी ने कुछ ने ज़ख्मों को सिया ।


हम झुके आगे सभी के ख़ास इज़्ज़त बख़्शने,

किस कदर बेइज़्ज़ती का पर जहर हमने पिया ।


छोड़ कर हमको अचानक क्यों बना लीं दूरियाँ,

आप तो ऐसे नहीं थे आपने ये क्या किया ।


जिस किसी ने भी वतन के वास्ते जब जान दी,

मर नही सकता कभी भी वो रहे हरदम ज़िया ।


जब तलक मज़बूत थे हम इक जगह पर थे जमे,

पैर उखड़े जो हमारे अब नहीं मिलता ठिया ।


हम वफ़ा करते रहे पर आपने समझा ग़लत,

किस ख़ता का आपने फ़िर इस तरह बदला लिया ।


आँधियाँ चलती रहीं थीं बारिशें होती रहीं,

जो रखा मुंडेर पर था जल रहा था वो दिया ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी मध्य प्रदेश 


माहिया

 #माहिया

1

मंदिर पे तुम आना

इसी बहाने से

तुम दरश दिखा जाना ।


2

बदनाम न हो जाएं 

मिलना छुप-छुप कर

मंदिर पे जब आएं


3

तुम हो थोड़ी मोटी 

ध्यान रखो अपना

कम खाओ तुम रोटी 


4

तुम थोड़े पागल हो

उड़ते ही रहते 

आवारा बादल हो


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी मध्य प्रदेश

प्रियामृतावधेश विधा

प्रियामृतावधेश

पिरामिड को प्रियामृत भी कहते हैं, वास्तु विज्ञान कहता है कि प्रियामृत के अंदर जो भी वस्तु रखी जाती है, वो संरक्षित रहती है ।

किसी दृश्य या घटना को देखकर हमारे मन में कभी कभी विशेष विचार आते हैं, कुछ नई अनुभूति होती है,ऐसे विचार, ऐसी अनुभूति को अपने भावों में शब्दों के माध्यम से प्रकट कर दिया जाए तो अन्य लोगों तक इन विचारों और अनुभूतियों का सम्प्रेषण हो सकता है ।

इसी सम्प्रेषण को कविता रूप में लिखने के लिए #प्रियामृतावधेश ऐसी विधा है, जिसमें लिखे गए शब्दों के माध्यम से किसी विचार या अनुभूति को अमर किया जा सकता है ।

अंक शास्त्र में 9 के अंक का महत्व सभी जानते हैं ।

छंद शास्त्र में मात्राओं के संयोजन का महत्व है, जो एक विज्ञान है, आदिदेव महादेव और वेद शास्त्रों से लेकर आधुनिक काव्य शास्त्र तक कथ्य को रोचकता प्रदान करने के लिए छंद रचना की जाती रही है ।


इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना-16102020

शिवपुरी,मध्य प्रदेश

शिवचरण छंद

 #अवधेश_कुमार_सक्सेना द्वारा सृजित

#शिवचरण_छंद #मात्रिक_छंद

कुल आठ चरण

विषम चरण की मात्राएँ कुल मात्राएँ 24,  सभी विषम चरण सम तुकांत

21 221 2221 22221, (अनिवार्य वाचिक भार)

सम चरण की मात्राएँ कुल मात्राएँ 24, 

12 122 1222 12222 ।(अनिवार्य वाचिक भार)

सभी सम चरण सम तुकांत ।

विषम और सम चरणान्त पर यति ।


#शिवचरण_छंद

कवि लिखेगा स्वयं के ही ह्रदय की आवाज़, 

नए-नए छंद से रचना सृजित तब होगी  ।

गीत संगीत सुर से भी सजेंगे जब साज,

नई नई धुन बनेंगीं राग लय जब होगी ।

चाँद बढ़ता चला आकाश पर करने राज,

प्रकाश की हर किरण की चाँदनी अब होगी ।

जब सजेगा सही सिर पर सफलता का ताज,

खुशी मिलेगी हमें पर रात वो कब होगी ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल चलो आस का एक दीपक जलाएँ

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_की_शायरी 

#चलो_आस_का_एक _दीपक_जलाएँ


चलो आस का एक दीपक जलाएँ ।

घना छा रहा जो अँधेरा भगाएँ ।


इबादत ख़ुदा की करें आज ऐसे,

किसी ग़मज़दा शख़्स को हम हँसाएँ ।


बिका जा रहा है सभी कुछ यहाँ पे,

युवा शक्ति को नींद से अब जगाएँ ।


रहें कैद क्यों ये परिंदे घरों में,

निकालें इन्हें आसमाँ में उढ़ाएँ ।


ख़फ़ा हो गए गर किसी बात पर वो,

झुकें माँग माफ़ी उन्हें हम मनाएँ ।


मुहब्बत भरे दिल में रहता खुदा है,

जुदा प्रेमियों के दिलों को मिलाएँ ।


हवा अग्नि आकाश पानी व पृथ्वी,

इन्हें साफ़ कर फ़र्ज़ अपना निभाएँ ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 16102020

शिवपुरी, मध्य प्रदेश


    

ग़ज़ल खाली

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #अवधेश_कुमार_सक्सेना द्वारा सृजित #मुकरी_छंद  #छंद #अवधेश_की_कविता 

खाली ।

थाली ।

ठोको,

ताली ।

गंदी,

नाली ।

प्यारी,

साली ।

शंका,

पाली ।

सुन ली,

गाली ।

आदत,।

डाली ।

बूढ़ा,

माली ।

संध्या,

लाली ।

स्वर्णिम,

बाली ।

राधा,

आली ।

प्रतिमा,

ढाली ।

माता,

काली।

खप्पर,

वाली ।

इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 13102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल नाम है

 #ग़ज़ल #छंद #कोकिला_छंद 

#नाम_है 


दाम है ।

नाम है ।


हाथ में,

काम है ।


ढल रही,

घाम है।


झूमती,

शाम है ।


पक रहा,

आम है ।


खुल रहा,

जाम है ।


प्रेम का,

धाम है ।


साथ में,

राम है ।


यश दशों,

याम है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना - 13102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

प्रियामृतावधेश

 #प्रियामृतावधेश 


वो

जिसको

समझा था

हरदम अपना

ज़रूरत पर वही

धोखा दे गया मुझे

जब तक था मतलब उसको

हर   काम  किया  उसने  मेरा

कोई किसी का नहीं बिना स्वार्थ ।

छोड़ के  आशा  करना  परमार्थ ।

रखो नहीं किसी से अपेक्षा

रहना नहीं कभी आश्रित  

खुद करो अपने काम 

सम्बन्ध भुलाओ

छोड़ो उनको 

झूठे हैं

अपने 

जो


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-09102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

दोहे

 #दोहे #अवधेश_की_कविता


बीज अंकुरित तो हुआ, बढ़ा नहीं दो फीट ।

खाद पानी मिला नहीं, खाते इसको कीट ।


अब तक गंगा में बहा, कितना पावन नीर ।

लग न सका पर आपका, सही निशाने तीर ।


गुरु की महिमा मान लो, ले लो उनसे ज्ञान ।

सीखो जिनसे कुछ यहाँ, रखना उनका मान ।


दोहे सुंदर तब बनें, पालन करें विधान ।

मात्राएँ पूरी लगें,  तुक का भी हो ध्यान ।


हिंदी की ईंटें लगें, देशी बालू सान ।

शब्द नए सीमेंट से, बढ़िया बने मकान ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 07102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश