चुनौती में अवसर खोजें
किसी भी पद की जिम्मेदारी सम्हाल रहे व्यक्ति, मंत्री, नेता, समाजसेवी, पत्रकार, सिविल सर्वेंट, अधिकारी कर्मचारी, पुलिस अधिकारी, पुलिस कर्मचारी, डॉक्टर्स, नर्स, हेल्थ वर्कर, सफाई कर्मी, अखबार, सब्जी, दूध, किराना, घरों तक पहुंचाने वाले, राशन, मदद घरों तक पहुंचाने वाले, मेडिकल या कोई भी दुकान खोलने वाले, जरूरत से या बिना जरूरत के घर से बाहर जाने वाले आप कोई भी हो सकते हैं ।
अगर आप घर से बाहर जा रहे हैं ।
केवल मास्क और ग्लोब्ज को ताबीज की तरह पहनकर अपने आपको सुरक्षित समझ कर घर से बाहर निकल रहे हैं तो क्या आप अपने आपको पूरी तरह सुरक्षित मान रहे हैं ? संक्रमित लोगों में पुलिस और डॉक्टर्स के सामने आने से तो यही लगता है कि केवल मास्क और ग्लोब्ज पहनकर इस वायरस ने नहीं बचा जा सकता । सोचें कि क्या आप सुरक्षित हैं क्या आपको अपनी और दूसरों की वाकई चिंता है, अगर ये वायरस भारत वासियों के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना बताया जा रहा है ।
अन्य देशों की तुलना में भारत में कम केस होने पर अमेरिका इटली से तुलना करके ओलंपिक प्रतियोगिता जैसी जीत बताकर खुश हो सकते हो पर इसका कारण लॉक डाउन से ज्यादा प्राचीन भारतीय संस्कृति और परंपराएं हैं, शराब का सेवन न करने वाले शाकाहारी लोगों की संख्या अन्य देशों की तुलना में भारत में बहुत ज्यादा है, ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से वायरस इनको नुकसान नहीं पहुंचाता, शराब पीने वाले, मांसाहार करने वाले कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के संक्रमित होने पर भी इनके परिवार के अन्य लोग (विशेषकर महिलाएं) संक्रमित नहीं हो रहे हैं, विचार करें ऐसा क्यों ?
संक्रमित लोगों की लिंक किसी न किसी विदेशी से जरूर सामने आ रही है, ऐसा क्यों ?
भारतीय संस्कृति और परंपराओं के साथ यहां की जलवायु और तापमान से मिलने वाली सुरक्षा के लिए हमें इन कारणों को श्रेय देना चाहिए ।
मांसाहार न करने वाले, शराब न पीने वाले, साफ सफाई से रहने वाले, व्रत उपवास करने वालों की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, ये वायरस उनके अंदर पहुंचकर भी उनका नुकसान नहीं कर सकेगा, ऐसे लोगों और ऐसे क्षेत्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जा सकता है ।
हमारी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता भी अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है, हमारे देश की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में, यहाँ की कार्य संस्कृति में, यहाँ की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए लॉक डाउन जैसे कदम पूरी तरह कारगर नहीं हो पा रहे, देश और देशवासियों का आर्थिक, शारीरिक और मानसिक नुकसान बहुत अधिक हो रहा है, ये वायरस अगर 100 लोगों को संक्रमित करता है तो ज्यादा से ज्यादा 3 लोगों को नुकसान पहुंचाता है, वाकी 97 तो ठीक रहते हैं । लेकिन लॉक डाउन ने क्या पूरे 100 को ही नुकसान नहीं पहुंचा दिया ? क्या हर देशवासी लॉक डाउन से प्रभावित नहीं हुआ ? कई गरीब मजदूर सैकड़ों हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हुए, अन्य रोगों से ग्रसित कई बीमार परिवहन या अन्य सुविधाएं न मिलने से उपचार नहीं करा पाए और समय से पहले ही दुनिया छोड़ गए, कई विकलांग, लाचार, गरीब, असहाय, वृद्ध, अकेले रहने वाले भूख और लाचारी से परेशान होकर तड़फ रहे हैं या मरने के लिए मजबूर हैं ।
सौभाग्य की बात है कि हमारे देश में शासन ऐसी पार्टी और ऐसी संस्था का है जो स्वदेशी जागरण के आंदोलन चलाती है, भारतीय आयुर्वेद और चिकित्सा पद्धतियों पर विश्वास करती है और इन्हें प्रचारित करती है, भारतीय संस्कृति, शाकाहार, प्राकृतिक स्वास्थ्य और योग का पूरी दुनिया में प्रचार प्रसार करती है प्रधान मंत्री जी आयुष मंत्रालय की सलाह मानने, काढ़ा पीने की सलाह देते हैं । अगर हम अपने मूल्यों और आदर्शों पर चलें तो हमें इस विश्व व्यापी चुनौती को अवसर के रूप में बदलने के लिए काम करना चाहिए, अब डर को एक तरफ रख मजबूती के साथ इस चुनौती का सामना करना चाहिए ।
प्रधानमंत्री जी की सलाह और सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए ।
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