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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Wednesday, April 8, 2020

कोविड-19 और लॉक डाउन

22 मार्च 2020 से आज दिनांक 9 अप्रेल 2020 तक मैं अपने घर के दरवाज़े से भी बाहर नहीं निकला, मैं कोविड 19 की चेन तोड़ने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा हूँ और देश के प्रति अपना फर्ज निभा रहा हूँ ।
कोविड 19 ने दिसम्बर 2019 में सबसे पहले एक महिला को प्रभावित किया था और तीन महीने में 10 लाख से ज्यादा संक्रमित हो गए ।  वो संख्या सामने आ रही है जो जांच होने पर पता लगती है । जांच न होने वाले न जाने कितने संक्रमित लोग अभी भी कोविड19 के वाहक बने सड़कों पर घूम रहे होंगे, ये कोई भी हो सकते हैं, अन्य देशों में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और राजकुमार जैसे शीर्षस्थ व्यक्ति कोविड19 पॉजिटिव निकले हैं, कई बड़ी हस्तियां इसकी शिकार हुई हैं । इसके प्रसार के वारे में बच्चे बच्चे को जानकारी है, लेकिन अफसोस कोई समझना नहीं चाहता, अभी भी राजनीतिक बयानवाजी, साम्प्रदायिक नफरत का माहौल उसी तरह चालू है जैसा पहले था, मैंने पहले भी लिखा था कि लॉक डाउन में घर के बाहर आने वाला केवल सेना, अर्ध सैनिक बल, पुलिस, होम गार्ड, मेडिकल स्टाफ के अलावा किसी को भी न निकलने दिया जाए, मगर सरकार आदेश निर्देश गाइडलाइन जारी करती रही पब्लिक मानने वाली नहीं थी, सबको देश और देशवादियों की नहीं अपने स्वार्थों की चिंता थी, हर व्यक्ति सोचता है कि उसने तो मास्क लगा लिया, साबुन से हाथ धो लिए, सेनेटाइजर लगा लिया, अब उसे तो कुछ होगा नहीं, वो अपने काम करता रहेगा जो अन्य लोग हैं उन्हें घर में रहना चाहिए । राजनीतिक, सामाजिक, व्यवसायिक गतिविधियों में लगे हुए लोग पास बनवाकर और बिना पास के भी घर के बाहर निकल रहे हैं और साधारण आदमी बाहर निकलता है तो उस पर कार्यवाही तय है तो समझ नहीं आता कि ऐसे लॉक डाउन का क्या मतलब निकलेगा, हाँ पर्यावरण को बहुत बड़ा लाभ जरूर मिल रहा है, हवा पानी शुद्ध हो रहे हैं ।
सरकार की और मेरे जैसे साधारण लोगों की सलाह जिन लोगों ने नहीं मानी उनके कारण ये लॉक डाउन बढ़ाने की जरूरत साफ नजर आ रही है और अंततः सरकार को मेरी सलाह के अनुसार ही लॉक डाउन की व्यवस्था करनी होगी कि 28 दिन घर से गली या सड़क पर नजर आने वाला केवल सेना, अर्ध सैनिक बल, पुलिस, होम गार्ड या मेडिकल स्टाफ होगा अन्य कोई नहीं, अन्य में शीर्षस्थ पदों पर बैठे व्यक्ति से लेकर राजनीतिक, सामाजिक, व्यवसायिक गतिविधियों में लगे हुए बड़े से छोटे स्तर के व्यक्ति भी शामिल होंगे, सब्जी वाले, दूध वाले, अखवार बांटने वाले भी शामिल होंगे, करोड़ों गरीब मजदूरों का जीना मुश्किल हो गया है इस लॉक डाउन की बजह से, लेकिन वो संघर्ष कर रहे हैं, अपने जमीर को मारकर खैरात में मिलने वाले राशन पानी से काम चला रहे हैं, खैरात बाँटने वाले ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं कि उन्हें ईश्वर ने इस लायक बनाया कि वो गरीबों की मदद कर पा रहे हैं, मेरा अनुभव कहता है कोई गरीब नहीं चाहता कि वो किसी की खैरात पर जिंदा रहे, मजबूरी ऐसा करा सकती है, लेकिन बाँटने वालों ने खैरात पर पलने वाली मानसिकता के मनुष्य क्या अन्य प्राणी भी तैयार कर लिए, किसी ने घर में ही कुत्ते, बिल्ली तोते पाल लिए तो कोई मवेशियों और खुले में विचरण करने वाले अन्य प्राणियों और वन्य प्राणियों का भी ध्यान रखकर पुण्य कमा रहा है, पहले तो उनके संसाधन छीन लिए उन्हें मोहताज बना दिया और उन्हीं के छीने हुए संसाधनों से उन्हें खैरात बांट कर गर्वित हो रहे हैं । ईश्वर की ये व्यवस्था नहीं है, ईश्वर को मानने वाले इसे समझें कि हमें कमजोर की मदद इस तरह करनी है कि हर मनुष्य या प्राणी जो कुछ भी हासिल करे उसमें उसके खुद के प्रयास का प्रतिफल हो, उसका जमीर, उसका स्वाभिमान जिंदा रहे ।
लॉक डाउन सरकार ने लागू किया है सरकार के अधीन सेना, पुलिस, अर्ध सैनिक, होम गार्ड और मेडिकल स्टाफ के लाखों कर्मचारी कार्यरत हैं, अति आवश्यक वस्तुओं को हर व्यक्ति और हर प्राणी तक पहुंचाना सरकार का दायित्व है और वो ही इसे करे तो उचित है, क्योंकि मजबूर व्यक्ति को अगर सरकार मदद करती है तो वो इसे अपना हक समझ कर ले सकता है । खैरात में मिलने वाली रोटी से पेट भर सकता है मन खाली होता जाता है, मैंने तो भूखा रहकर भी दिन गुजारे हैं लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएं है, हर व्यक्ति ऐसा ही होना चाहता है अगर मेहनत करके कमाने के अवसर उसके पास हों , आज अगर रोटी न मिले लेकिन कल मजदूरी करके मिलने की उम्मीद हो तो वो आज भूखा रह सकता है और अपना स्वाभिमान बना कर रख सकता है ।
मैं 9 दिन केवल पानी पीकर नवरात्रि के व्रत करता हूँ, प्रधान मंत्री जी करते हैं, अन्ना हजारे, महात्मा गांधी जैसे अन्य कई नेता है जिन्होंने 15- 15 दिन उपवास अनशन किया है, इरोम शर्मिला तो एक एक साल तक अनशन करती रहीं हैं । लॉक डाउन पीरियड में अगर किसी को परेशानी होगी तो देश की खातिर वो भुगत लेगा । लेकिन इसका जो उद्देश्य है वो पूरा होना चाहिए ।
मेरी सलाह यही है कि टोटल लॉक डाउन 28 दिन का हो गली या सड़क पर गैर बर्दी धारी कोई भी न नजर आए, कोई भी यानि कोई भी, न कोई नेता, मंत्री, न कोई अधिकारी न कोई समाजसेवी, न कोई पत्रकार न कोई सब्जी वाला, न कोई दूध वाला, न कोई अखवार बाँटने वाला । कोई भी दुकान न खुले, अति आवश्यक वस्तुएं दवाइयां बर्दीधारी कर्मचारियों के कब्जे में हों और वो ही इनका टोल फ्री नम्बर पर आई मांग के अनुसार वितरण करें । शासन प्रशासन के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपने घरों में बैठकर ऑनलाइन काम करते हुए अपने दायित्व निभाएं ।
अमिताभ बच्चन की एक वायरल फ़िल्म ये सावित करती है कि देश के अलग अलग क्षेत्रों के कलाकार  घर में रहते हुए भी फ़िल्म बना सकते हैं, शिवपुरी में भाई आशुतोष शर्मा कई शहरों और प्रदेशों के कवियों और श्रोताओं को ऑनलाइन जोड़कर प्रतिदिन ऑनलाइन कवि सम्मेलन कर सकते हैं, तो शासन प्रशासन के लोग भी मोबाइल पर ऑनलाइन मीटिंग या संपर्क करके व्यवस्थाएं देख सकते हैं ।
अवधेश -09042020

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