गीत
हनुमान जी पर गीत जो तुमको सुनाते हैं ।
सियापत राम के चरणों में अपना सर झुकाते हैं ।
लिखा हनुमान जी पर गीत जो तुमको सुनाते हैं ।
करें हनुमान स्तुति हम हमारे भाग हैं जागे ।
सिया को ढूंढते जब राम लछमन जा रहे आगे ।
दिखा पर्वत निकट रिशमूक सुग्रीव आते हैं ।
कहा हनुमान से जाओ जरा पूछो कुमारों से,
कहीं बाली न लाया हो बताना तुम इशारों से ।
बदलकर रूप जब हनुमान जी गुण राम गाते हैं ।
सिया को ढूंढ़ने की बात वो परिचय सहित बोले।
सुने हनुमान ने जब राम से जो राज हैं खोले ।
लिया पहचान तब हनुमान अपना शीश नवाते हैं ।
उठाया राम ने हनुमान को फिर भाव में भरकर ।
गले से भी लगा बोले लखन से तुम मुझे बढ़कर ।
मिलाया राम से सुग्रीव लखन परिचय बताते हैं ।
अवधेश-08042020
हनुमान जी पर गीत जो तुमको सुनाते हैं ।
सियापत राम के चरणों में अपना सर झुकाते हैं ।
लिखा हनुमान जी पर गीत जो तुमको सुनाते हैं ।
करें हनुमान स्तुति हम हमारे भाग हैं जागे ।
सिया को ढूंढते जब राम लछमन जा रहे आगे ।
दिखा पर्वत निकट रिशमूक सुग्रीव आते हैं ।
कहा हनुमान से जाओ जरा पूछो कुमारों से,
कहीं बाली न लाया हो बताना तुम इशारों से ।
बदलकर रूप जब हनुमान जी गुण राम गाते हैं ।
सिया को ढूंढ़ने की बात वो परिचय सहित बोले।
सुने हनुमान ने जब राम से जो राज हैं खोले ।
लिया पहचान तब हनुमान अपना शीश नवाते हैं ।
उठाया राम ने हनुमान को फिर भाव में भरकर ।
गले से भी लगा बोले लखन से तुम मुझे बढ़कर ।
मिलाया राम से सुग्रीव लखन परिचय बताते हैं ।
अवधेश-08042020
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