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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Thursday, February 15, 2024

Tuesday, March 1, 2022

यूक्रेन में भारतीय छात्र की दर्दनाक मौत का एक सटीक विश्लेषण

 

यूक्रेन में भारतीय छात्र की दर्दनाक मौत का एक सटीक विश्लेषण

आरक्षण व्यवस्था, नेताओं के स्वामित्व वाले निजी कॉलेजों में डोनेशन के नाम पर 1 करोड़ तक वसूलने  एवं सत्ता की  बागडोर पूंजीपतियों और सत्ता के भूखे राजनीतिज्ञों के हाथ में होने के कारण यूक्रेन में नवीन शेखरप्पा छात्र मारा गया और 20 हजार छात्र मौत के साये में भगवान भरोसे अनियमित धड़कन के साथ धीमी तेज सांसे ले रहे हैं । इनके परिवारजन और सच्चे देशभक्त देशवासियों की चिंता और बेचैनी को कोई समझने वाला नहीं है ।
नेताओं के भक्त इन छात्रों को ही दोषी बताने में असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा कर रहे हैं ।
आरक्षण व्यवस्था के कारण देश के सरकारी कॉलेजों में सीटों की कमी के कारण 90 प्रतिशत से ऊपर लाने वाले छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता,एडमिशन न मिलने वाले छात्रों में आरक्षित वर्ग की जातियों के छात्र भी होते हैं । देश के ज्यादातर कॉलेज सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के या इनके निकट संबंधियों के होने से इन कॉलेजों में 1 करोड़ तक डोनेशन देने वालों को ही एडमिशन मिल पाते हैं । चीन, रूस,यूक्रेन एवं अन्य देशों में 25 लाख तक के टोटल खर्चे में MBBS हो जाता है, अच्छे साधन और अच्छी फेकल्टी की उपलब्धता भी इन विदेशी कॉलेजों में होती है जबकि हमारे देश के कॉलेजों में तो फेकल्टी की अत्यधिक कमी है ।
नेताओं के कॉलेजों में 1 करोड़ डोनेशन देकर डॉक्टर बने छात्र करोड़ों की कमाई के लिए जांच उपचार, दवा, ऑपरेशन, आई सी यू, वेंटिलेटर का सहारा लेकर अपने ही देशवासियों की जीवन भर की कमाई पर डाका डाल देते हैं ।
भारत के तथाकथित मित्र देश द्वारा किये गए हमलों से भारतीय नागरिक नवीन शेखर मारा गया तो पूंजीपतियों और सत्ता के भूखे नेताओं की गोदी में बैठे मीडिया और राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वाले आई टी सेलों के भ्रामक संदेशों से आहत मृत छात्र नवीन के पिता को ये कहना पड़ रहा है कि आरक्षण के कारण 97 प्रतिशत अंक लाने पर भी उनके बेटे का एडमिशन नहीं हो पाया था और 1 करोड़ का डोनेशन इन नेताओं के कॉलेज में मांगा जा रहा था तब वो क्या करते । उन्हें प्रधानमंत्री और सरकार से अपने बेटे की डेड बॉडी मंगवाने की मांग करनी पड़ रही है । मजबूरी ही अपनी जमीन से दूर ले जाती है, अगर देश में हीं इन 20000 छात्रों को MBBS करने की सुविधा मिली होती तो ये छात्र अपने माता पिता, अपना घर, अपना देश छोड़कर विदेश क्यों जाते ।
इन छात्रों को यूक्रेन से वापस लाने की व्यवस्था सरकार को करनी थी । सरकारी एयर इंडिया को निजी कम्पनी को बेचने के बाद जो हवाईजहाज भेजे गए उनमें 18 हजार लगने वाला किराया जब 1 लाख लिया गया तो वही छात्र वापस आ सके जो 1 लाख दे सकते थे ।  सरकार के मंत्रियों को इनका स्वागत करते हुए मीडिया पर दिखाया गया जैसे सरकारी खर्चे पर इन्हें लाया गया हो ।
छात्रों से कहा जा रहा है कि सैकड़ों हजारों किलोमीटर चलकर अन्य देशों के बॉर्डर पर पहुंच जाएं वहाँ से उन्हें लाने की व्यवस्था की गई है । बम और मिसाइलों के हमलों के बीच से ये छात्र हजार किलोमीटर की यात्रा करके अपनी खुद की व्यवस्था से बॉर्डर पर पहुंच जाएं, इस तरह की शर्मनाक एडवाइजरी दी जा रही है ।
1971 में रूस ने भारत का साथ दिया था क्योंकि युद्ध में उससे खरीदे गए हथियारों, टैंक, प्लेन आदि का उपयोग हुआ था, अभी भी दोस्ती व्यापारिक कारणों से है, वो हमें हथियार फ्री नहीं देता, हम उसके ग्राहक हैं, अच्छे ग्राहक से व्यापारी अच्छे संबंध रखना चाहता है, बस यही दोस्ती है । आत्म निर्भरता की बात करने वाले भारत को इस व्यापारिक रिश्ते को दोस्ती नहीं समझना चाहिए । दुनिया के अधिकांश देश कमजोर देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं, यूक्रेन के राष्ट्रपति के संदेश पर देर तक खड़े होकर तालियां बजाकर उसका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हम रूस से दोस्ती के नाम पर चुप्पी साधे बैठे हैं, कम से कम अपने छात्रों की वापिसी तक ही हमले रोकने के लिए रूस को तैयार कर लें, नहीं तो छोड़ें ऐसी दोस्ती जो सही मायने में दोस्ती है ही नहीं । भूलें नहीं कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के मांगने पर भी रूस ने साथ नहीं दिया था तब हिटलर का सहयोग नेताजी को लेना पड़ा था, 1962 में चीन से युध्द के समय भी रूस ने साथ नहीं दिया था, 1965 के युध्द के बाद ताशकंद समझौता रूस ने ही कराया और शास्त्री जी की मौत ताशकंद में ही हो गई थी । इस पूरे प्रकरण में विदेश मंत्री के अनुभवों के दुष्परिणाम उनकी कार्यक्षमता में आई गिरावट के रूप में दिखाई दिए हैं । विदेश मंत्री को तत्काल हटा कर किसी अन्य योग्य व्यक्ति को ये जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए । सेना और वायुसेना को इवेकुएशन का पूरा काम सौंपना चाहिए जो तिरंगे झंडे के साथ अपने वाहनों और वायुयानों से छात्रों को सुरक्षित निकालकर लाये और रूस को ये बता दिया जाए कि हम ऐसा कर रहे हैं, जब तक हमारे पूरे नागरिक यूक्रेन से बाहर नहीं आएंगे, रूस को हमले रोकने पड़ेंगे और अगर रूस नहीं मानता तो हमारे उसके साथ सारे व्यापारिक रिश्ते भी खत्म होंगे । रूस और चीन की दोस्ती के कारण हमें रूस से ज्यादा उम्मीद भी नहीं रखनी चाहिए ।
यूक्रेन को समर्थन न करने और रूस से दोस्ती की बातें प्रचारित होने से देशभक्त युक्रेनियों द्वारा हमारे छात्रों के साथ दुर्व्यवहार भी होने लगे हैं । देशभक्ति की बड़ी बड़ी बातें करने वाले नेताओं को चाहिए कि पूंजीपतियों की कम्पनियों से आयातित अधिकारियों की सलाह के स्थान पर अपने ही देशभक्त संगठनों के शीर्ष बुद्धिजीवी पदाधिकारियों की सलाह पर निर्णय लेना प्रारंभ करें जिससे नोटबन्दी,लॉक डाउन, किसान आंदोलन आदि के कड़वे अनुभवों से देश को बचाया जा सके । देशभक्त संगठनों से भी आग्रह है कि राजनीतिक लाभ हानि की सोच से ऊपर उठकर देश और देशवासियों के समग्र हित में सोचें और सत्ता में बैठे अपने प्रतिनिधियों को सही मार्गदर्शन देने में संकोच न करें ।

©इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 02032022
शिवपुरी, मध्य प्रदेश

Friday, November 5, 2021

ग़ज़ल प्राथमिक शिक्षा

 ग़ज़ल का मदरसा -17 

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आदरणीय R.s. Bagga जी के आदेश के अनुसार "ग़ज़ल का मदरसा " इस आयोजन का सत्रहवाँ  अंक लेकर नाचीज़ आप की सेवा में हाज़िर है | "ग़ज़ल का मदरसा " की पिछली 16  कड़ियों में ग़ज़ल से संबधित मूलभूत ज्ञान सरल भाषा में आप को देने की कोशिश की है |  जो लोग अभी तक पिछले अंक नहीं देख पाए हैं उनके लिए इस अंक में लिंक उपलब्ध है ,पुरानी सभी कड़ियाँ देख सकते हैं , शेयर कर सकते हैं | कहीं पर कॉपी करके सेव कर सकते हैं | इस अंक से हम एक बह्र पर अभ्यास का क्रम शुरू कर रहे हैं | जो लोग इसमें रुचि रखते हैं , वे सिर्फ़ और सिर्फ़ दी गई बह्र पर ही अपनी ग़ज़लें कमेंट में प्रस्तुत कर सकते हैं , दी गई बह्र के अलावा अपनी रचना पटल पर प्रस्तुत करें | आपकी ग़ज़लों में कोई कमी दिखाई देगी  तो नाचीज़ अपनी जानकारी के अनुसार अपने सुझाव देने की कोशिश करेगा | अन्य विद्वान भी अपने सुझाव दे सकते हैं | विद्वान भी संबधित बह्र पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं | उम्मीद की जाती है अधिक से अधिक लोग इस आयोजन में भाग लेंगे | आपकी ग़ज़ल में क़ाफ़िया एवं रदीफ़ आपके होंगे | 

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आज की बह्र है --बहर-ए-रमल मुसद्दस महजूफ़

मापनी -2122  2122  212

अरकान-फ़ाइलातुन- फ़ाइलातुन -फ़ाइलुन

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गीत --दिल के' अरमाँ/ आँसुओं में/ बह गए =2122 / 2122 /212 

++ग़ज़ल++

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ

क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ

साल सत्तर से भले आज़ाद हैं

आज भी सजती बदन की मंडियाँ

अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ है

ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ

कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से

फ़र्क़ बाक़ी है नज़र के दरमियाँ

है विदाई का वही मंज़र 'तुरंत '

सिसकियाँ शहनाइयाँ और हिचकियाँ

--गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी | 


**तक़्तीअ **

थम रही हैं/ क्यों नहीं ये/ सिसकियाँ =2122 / 2122 /212

क्यों परेशां/ हैं चमन में/ तितलियाँ =2122 / 2122 /212

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यह एक ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल है | जिसमें 

इयाँ -स्वर के क़ाफ़िया बाँधे गए हैं |

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जिन साथियों ने पुराने अंक नहीं देखे हैं उनके लिए लिंक --

(1 https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/673427313216147/

(2 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/678984425993769/

(3 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/683627432196135/

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(10 ) https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/715609568997921/

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(16 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/745226856036192/

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"ग़ज़ल के मदरसा " के पाठ कहीं save कर लें ,या इस पोस्ट को share कर लें | जो SHARE एवं SAVE के झंझट से मुक्त रहना चाहते हैं वे यदि चाहें तो मेरी ई-बुक --"ग़ज़ल प्राथमिक शिक्षा" अमेजन डॉट इन से खरीद कर डाउनलोड कर सकते हैं| अभी इस बुक का पेपरबैक संस्करण उपलब्ध नहीं है | लिंक इस प्रकार है :- -https://www.amazon.in/dp/B089NDBGHR

Friday, October 29, 2021

ग़ज़ल के वारे में

 ग़ज़ल का मदरसा -16 

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आदरणीय R.s. Bagga जी के आदेश के अनुसार "ग़ज़ल का मदरसा " इस आयोजन का सौलहवाँ अंक लेकर नाचीज़ आप की सेवा में हाज़िर है | "ग़ज़ल का मदरसा " की पिछली 15  कड़ियों पर आपकी प्रतिक्रियाएं देखकर ख़ुशी हो रही है| जो लोग अभी तक नहीं देख पाए हैं उनके लिए इस अंक में लिंक उपलब्ध है ,पुरानी सभी कड़ियाँ देख सकते हैं , शेयर कर सकते हैं | कहीं पर कॉपी करके सेव कर सकते हैं |पिछले अंक में फिल्मों धुनों पर आधारित बह्र के बारे में जानकारी दी गई थी | इस बार कुछ और बहूर और उन पर फ़िल्मी गीतों की जानकारी का संकलन प्रस्तुत है |

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पाठ 12 (3 ) -फ़िल्मी धुनों का प्रयोग

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अगले पाठों में आपको हर लोकप्रिय बह्र पर मेरी एक ग़ज़ल के माध्यम से अभ्यास करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा | बह्र साधने के लिए सबसे सरल उपाय है फ़िल्मी गीतों की धुनें | इन फ़िल्मी धुनों पर गुनगुनाकर यदि शेर की पंक्तियाँ लिखी जाये तो निश्चित रूप से बह्र में कोई रूकावट नहीं होगी |मैंने स्वयं फ़िल्मी धुनों के आधार पर ही बह्र साधना सीखा है ,अब मुझे किसी भी बह्र में लिखने में कोई दिक्कत नहीं होती है | मेरी हर ग़ज़ल के एक शेर की "तक़्तीअ " भी इन पाठों में दी जाएगी | जिससे मिसरे की मात्रा किस आधार पर तय हुई इसका पता चलेगा और अभ्यास में सहायक होगा | जो बहूर(बहरें =बह्र का बहुवचन ) अलोकप्रिय हैं उन्हें छोड़ दिया गया है ताकि अधिकतर शाइर जिन बहूर का प्रयोग करते हैं आप उन पर अभ्यास कर सकें और आसानी से लिखना सीख सकें |

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जिस अक्षर की मात्रा ग़ज़ल में गिराई गई है उसके ऊपर (')यह निशान अंकित किया गया है ताकि आपको ज्ञान हो सके कौन से दो मात्रा के अक्षर(दीर्घ या गुरू ) को एक मात्रा (लघु ) माना गया है | अगले पाठों में दी गई बहूर पर भी यदि आप पूरे मन से अभ्यास करते हैं तो आप ग़ज़ल के शिल्प पर पकड़ बना लेंगें | लेकिन अभ्यास आपको निरंतर करना है जिससे क्रम न टूटे | यदि बीच में हार मानकर कोई छोड़ देता है तो पुनः शुरू से शुरूआत करनी होगी यह ध्यान रहे | जो उस्ताद लोग छुपाते हैं वही सब गुर मैंने आसान शब्दों में आपको सिखाने की कोशिश की है |

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बह्र के अनुसार फ़िल्मी गीतों का एक संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ ,इन गीतों की तक़्तीअ आपकी सुविधा के लिए की गई हैं जिसके आधार पर कौनसा लघु और कौनसा अक्षर गुरू (दीर्घ ) लिया गया है आपको मालूम हो जाएगा | इन गीतों के यु-ट्यूब लिंक भी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ ताकि आप को गीत तलाश करने में कोई दिक्कत न हो |

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 (25 )

बहर ए रजज़ मुसम्मन महजूफ़

अरकान- मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़अल

मापनी -2212  2212  2212 12 

गीत- हम लाये' हैं/ तूफ़ान से/ कश्ती निका/ल के =2212  2212  2212 12 https://www.youtube.com/watch?v=ddrx8288qwA

(26 )

बहर ए रजज़ मख़्बून मरफ़ू मुखल्ला  

मापनी=121  22 121  22 121  22  121  22

अरकान-मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन

गीत-1 --नसीब में जिस/ के' जो लिखा था / वो' ते/री' महफ़िल-- में' काम आया 

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 

https://www.youtube.com/watch?v=AoJ-iiWsLJA

गीत-2 -- .हज़ार बातें /कहे ज़माना /मे'री वफ़ा पे /यक़ीन रखना  

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 https://www.youtube.com/watch?v=eB_rwdvByYc

गीत-3 -- छुपा/ लो' यूँ दिल' में' प्यार मेरा कि जैसे' मंदिर में' लौ' दिये  की 

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 https://www.youtube.com/watch?v=QG5XxX5OF0k

(27 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन सालिम

मापनी=212 212 212 212 

अरकान=फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

**

गीत-1 --कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों =212 /212 /212 /212 https://www.youtube.com/watch?v=n6yTCblgAQQ

गीत-2 -- गीत गा/ता  हूँ मैं/ गुनगुना/ता हूँ मैं=212 /212 /212 /212 https://www.youtube.com/watch?v=Ays7xJK8UF8

(28 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन सालिम 16 रुकनी 

मापनी=212 212 212 212 212 212 212 212 

अरकान=फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

गीत-1 --तुम अगर/ साथ दे/ने का’ वा/दा करो/, मैं यूँ’ ही/ मस्त नग/मे सुना/ता रहूँ

=212 /212 /212 /212 / 212 /212 /212 /212

https://www.youtube.com/watch?v=rPIs4BD7_K0

गीत-2 --आप यूँ /ही अगर / हम से' मिल /ते रहे /देखिये / एक दिन / प्यार हो /जाएगा 

=212 /212 /212 /212 / 212 /212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=3Ez_GyVEST0

(29 )

बहर ए मुतदारिक मुसद्दस सालिम

मापनी-=212 212 212 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन

गीत-1 --ज़िंदगी की न टूटे लड़ी =212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=tELPCEj9wh0

गीत-2 --ज़िंदगी/ प्यार का/ गीत है =212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=M9YGUkKphsg

(30 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अहजज़ आखिर 

मापनी-=212 212 212 2 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन फ़ा 

गीत-1 -- ज़िन्दगी/ इक सफ़र/ है सुहा/ना=212 /212 /212 / 2

 https://www.youtube.com/watch?v=D4dQoMXh-7k

गीत-2 --आज सो/चा तो आँ/सू भर आ/ये =212 /212 /212 / 2 https://www.youtube.com/watch?v=PcOfJLdIh1M

(31 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अहजज़ आखिर 16  रुकनी 

मापनी-=212 212 212 2  212 212 212 2 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन फ़ा 

गीत-1--इश्क़ में /हम तुम्हें/ क्या बता/यें/ किस क़दर/ चोट खा/ये हुए/हैं

=212/212/212/2/ 212/212/212 /2 

https://www.youtube.com/watch?v=Lz_7j1g9Veg

गीत-2 -- भर दो’  झो/ली मेरी /या मुहम्मद-- लौटकर/ मैं न जा /ऊँगा’ खाली

=212/212/2122-- 212/212/2122

https://www.youtube.com/watch?v=TQayTtJqEgM

(32 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मिन मखबून मक़तूअ महज़ूफ़

मापनी - 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1-- अच्छी सी गुड़ि/या ला/ना =22 /22 /22 /2 

https://www.youtube.com/watch?v=Ke5QWnrvVbo

(33 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अस्लम

मापनी-=22  22 22 22 

अरकान =फैलून फैलून फैलून फैलून

 ( इस बह्र की खासियत है इसमें 22  की जगह , 112 ,211  भी ले सकते हैं , इसे फैलून की बह्र भी कहा जाता है |

गीत-1--मैं पल /दो पल /का शा/यर हूँ=22 /22 /22 /22 

https://www.youtube.com/watch?v=QkGqpVYjLUw

गीत-2--दो दिल/ टूटे /दो दिल/ हारे=22 /22 /22 /22 

https://www.youtube.com/watch?v=JI_a781Z-Vc

(34 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़ (12 रूकुनी ) मखबून मक़तूअ महज़ूफ 

मापनी - 22 22 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1--फूलों का तारों का सबका कहना है=22 /22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=pNaku4zwRuM

गीत-2--देखो मैंने देखा है ये इक सपना =22 /22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=q7iZe8GY8jw

(35 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़( 16 रुकुनी ) मखबून मक़तूअ महज़ूफ 

(इसे बहरे-मीर भी कहते हैं )

मापनी - 22 22 22 22 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1-- कसमें /वादे /प्यार व/फ़ा सब/ बातें/ हैं बा/तों का/ क्या =22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=oIiHAKDfksk

गीत-2--. बस्ती/ बस्ती /पर्वत/ पर्वत/ गाता/ जाये/ बनजा/रा =22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=Ec4V8REAT5I

(36 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़ 16 रुकुनी मखबून मक़तू'अ 

(फैलुन की बह्र -इसमें 112 और 211  को भी 22  माना जाता है )

मापनी - 22 22 22 22 22 22 22 22  

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन

गीत-1--जीवन/ से' भरी /तेरी/ आँखें/ मजबू/र करे /जीने/ के' लि/ए

=22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /22 https://www.youtube.com/watch?v=6VZDEcwcCak

गीत-2--दीवा/नों से/ ये मत/ पूछो/ दीवा/नों पे/ क्या गुज़/री है ।

=22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /22 https://www.youtube.com/watch?v=7eEgZkaBcfo

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जिन साथियों ने पुराने अंक नहीं देखे हैं उनके लिए लिंक --

(1 https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/673427313216147/

(2 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/678984425993769/

(3 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/683627432196135/

(4 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/688289735063238/

(5 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/692840591274819/

(6)https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/697322907493254/

(7 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/701738800384998/

(8 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/706169423275269/

(9 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/710945876130957/

(10 ) https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/715609568997921/

(11 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/720102025215342/

(12 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/724901464735398/

(13 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/729878064237738/

(14 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848?post_id=७३४७१९०१७०८६९७६

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Friday, October 15, 2021

मात्रा भार

 #विषय _:- #मात्रा_भार व गणों की पहचान#


 नोट :- मुक्तक-रचनाओं व छंद- रचनाओं के लिये मात्रा भार गणना और सभी आठ गणों की ज्ञान होना रचनाकारों के लिये आवश्यक है।यद्यपि, सिर्फ इसी जानकारी से मुक्तक या छंद लिखना आ जायेगा, ऐसा नहीं है। लेकिन बिना इसके जानकारी के तो सही-सही लिखना तो असम्भव ही समझिये। इसी परिपेक्ष्य को ध्यान में रखकर अधोलिखित जानकारी दी जा रही है। इस आशा के साथ कि कम से कम सभी रचनाकार इसका ध्यान अपने मुक्तक-सृजन में अवश्य देंगें और सभी पंक्तियों में समान मात्रा-भार मुक्तक लिखेंगें। सिर्फ चार पंक्तियों में प्रयास की शुरूआत करें जो आगे आपके अन्य रचनाओं में स्वत: सहायक सिद्ध होगा।B

     --------------मात्रा भार------------

भाषा बोलचाल का माध्यम है, अत: सभी नियम जो भी बने उसका आधार भी अक्षरों का सुर ही रहा।हिंदी में अक्षरों को दो ग्रुप में रखा गया है।

(१) स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं,अ: और ऋ


नोट:- इसमें अ, इ, उ, ऋ लघु मात्रिक हैं, इनसे ह्रस्व स्वर निकलता है। इन चारों का मात्रा भार 1 होता है। ये किसी व्यंजन से जुड़ते हैं तो व्यंजन के मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जैसे :- क +इ = कि का मात्रा भार 1 ही होगा। ग+उ= गु  म+ऋ=मृ का मात्रा भार 1 ही होगा।

इन चारों(अ इ उ ऋ) को छोड़कर सभी स्वर दीर्घ मात्रिक या गुरू कहलाते हैं। इनका मात्रा भार 2 होता है। ये किसी व्यंजन से जुड़ते हैं तो उसे भी दीर्घ मात्रिक या गुरू कर देते हैं तथा व्यंजन का मात्रा भार 2 हो जाता है। उदाहरण के लिये :- क + ई = की, ल+ऊ = लू , स+ओ= सो ।सभी गुरू व दीर्घ मात्रिक हो गये तथा मात्रा भार हुआ 2।


(२) व्यंजन:- क,ख,ग,घ,.........   से लेकर क्ष, त्र, ज्ञ तक सभी व्यंजन हैं।


नोट:-क्ष त्र और ज्ञ को छोड़कर सभी व्यंजन स्वतंत्र रूप से लघु मात्रिक या लघु ही कहलाते हैं और इनका मात्रा भार 1 होता है। क्ष त्र और ज्ञ का मात्रा भार इनके शब्दों में प्रयोग के आधार पर निर्धारित होता है। क्ष त्र और ज्ञ को संयुक्ताक्षर कहते हैं। जिनके शब्दों में प्रयोग के आधार पर मात्रा भार निर्धारित होता है।


उदाहरण देखें:-


क्षमा=1+2=3 क्षरण=1+1+1=3 क्षोभ 2+1=3 क्षमा,क्षरण और क्षोभ का उच्चारण करने में क्ष का ष् नहीं आया, इसलिये इसे लघु मान मात्रा भार 1 लिया गया। ऐसा तभी होगा जब क्ष शब्द का पहला अक्षर हो।अब आगे देखें।

कक्ष= क+क्+ष्+अ=2+1=3, कक्षा= क+क्+ष्+आ =2+2=4 रक्षाम=र+क्+ष्+आ+म=2+2+1=5(जबकि सरसरी तौर पर कक्ष, कक्षा और रक्षाम देखने से 2 3 और 4 मात्रा भार लगेगा जोकि गलत है। इसी प्रकार अब ज्ञ को देखें।


ज्ञ भी उपरोक्त वर्णित क्ष के नियम पर चलेगा। यदि शब्द

ज्ञ से शुरू होगा तो मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन बीच में आयेगा तो अपने बायें या पहले पड़ने वाले अक्षर को दीर्घ या गुरू कर देगा। जैसे:-

ज्ञान= ज्+ञ्+आ+न =2+1=3 क्योंकि अर्ध अक्षर शब्द के शुरू में हो तो उसकी गणना नहीं होती। अर्ध अक्षरों के समायोजन पर मात्रा भार की गणना में इस पर आगे पुन: चर्चा करूँगा।

यज्ञ=य+ज्+ञ=2+1=3

विज्ञान=वि+ज्+ञा+न=2+2+1=5

इसी प्रकार संयुक्ताक्षर श्र और त्र को देखें। यह पहले आने पर लघु मात्रिक रहता है और मात्रा भार 1 लेकिन बाद में आने पर अपने से पहले के अक्षर को दीर्घ मात्रिक यानि गुरू कर देता है। और स्वयं लघु बना रहता है। अगर पहले वाला अक्षर दीर्घ मात्रिक हो तो कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

पत्र=प+त्+र=2+1=3 त्रिदेव= त्रि+दे+व=1+2+1=4

क्षत्रिय:2+1+1=4 श्रम =1+1=2 परिश्रम =1+2+1+1=5

आश्रम=आ+श्र+म= 2+1+1=4 ।

नोट:- क्षत्रिय में त्र ने क्ष को दीर्घमात्रिक कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया जबकि आपने उपर देखा था कि क्ष अक्षर यदि शब्द के शुरू में हो तो लघु और मात्रा भार 1 रहता हैः परिश्रम में श्र ने रि को दीर्घ व गुरू कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया। जबकि आश्रम में श्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि पहले का अक्षर 'आ' पहले से ही गुरू या दीर्घ है।


अर्ध अक्षर समायोजन से मात्रा भार पर प्रभाव:- 


(1) अर्ध अक्षरों कि कोई गिनती नहीं होती हैं लेकिन शब्दों में प्रयोग के अनुसार इनका प्रभाव अन्य अक्षरों पर पड़ता है।अर्ध अक्षर शब्दों में प्रयोग होने पर हमेशा अपने बायें यानि पहले पड़ने वाले अक्षर को ही प्रभावित करता है। अपने बाद यानि दाहिने पड़ने वाले अक्षर पर कोई प्रभाव नहीं डालता। यही कारण है कि यदि इससे पहले या बायें कोई अक्षर न हो यानि यह स्वयं शब्द के शुरूआत में आये तो उसे नगण्य मानकर चलते है और उसकी गिनती मात्रा भार में नहीं करते। जैसे:-प्यार में प् की गिनती नहीं होगी। मात्रा भार प्+या++र = 0+2+1=3, क्या= 0+2=2 व्याकरण= 0+2+1+1+1=5

नोट:- कुछ अन्य अर्ध अक्षर भी मैं यहीं रख रहा हूँ जिसको लेकर लोग अक्सर परेशान रहते हैं। कारण इसे अलग भाग में समझाना भी है। भले ही वह शुद्धता की दृष्टि से सही हो। लेकिन गलत ही सही मैं अलग तरीका अपनाता हूँ ताकि लोग समझ सकें। मैं तीन शब्द नीचे लिख रहा हूँ

भृगु , भ्रम, भर्ती। तीनों शब्दों में हम र के मात्रा भार को लेकर भ्रमित होते हैं। तीनों के नियम अलग हैं।

 भृगु में भ्+ऋ+गु 1+1= 2 मात्रा भार है। कारण अ, इ, उ और ऋ चारों स्वर लघु मात्रिक है तथा ये व्यंजन से जुड़कर उसके मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं डालते। इसीलिये भ का मात्रा 1 है और ऋ के जुड़ने के बाद भी 1 ही रहेगा यानि भृ भी 1 होगा। तथा गु तो 1 है ही। तो भृगु =  2 हुआ।

अब आइये भ्रम को समझे। भ्रम=भ् +र +म =0+1+1=2

इसमें भ् अर्ध अक्षर शुरू में आया, इसलिये गिनती नगण्य। बाकी रम गिना जायेगा।

भर्ती = भ+र् +ती = 2+2 =4

 कारण अर्ध अक्षर र् बीच में आया और उसने अपने बायें यानि पहले के अक्षर 'भ' को प्रभावित किया। भ लघु मात्रिक है और मात्रा भार 1 लेकिन अर्ध अक्षर 'र्' से प्रभावित होकर भ दीर्घ मात्रिक व गुरू भार वाला बन गया। अत: मात्रा भार गुरू के अनुसार 2  हो गया। 'ती' पहले से  ही गुरू है। भर्ती =2+2=4


(2) जैसा कि उपर भर्ती शब्द में आपने देखा कि अर्ध अक्षर बीच में हो तो अपने से पहले वाले यानि बायें वाले अक्षर को प्रभावित करता हैं तथा कभी अपने बाद आने वाले यानि कि दाहिने वाले अक्षर को नहीं। उसके नियम निम्नवत् हैं।

(a) अर्ध अक्षर अपने पहले आने वाले लघु मात्रिक अक्षर को दीर्घ मात्रिक कर देता है। लेकिन अगर पहले वाला अक्षर पहले से ही दीर्घ मात्रिक हो तो कोई प्रभाव नहीं डालता और स्वयं नगण्य हो जाता है। यदि अर्ध अक्षर का भार अपने से पहले वाले शब्द पर न पड़कर अपने बाद वाले शब्द पर पड़ता है तो वह कोई प्रभाव किसी अक्षर पर नहीं डालता और नगण्य हो जाता है।

जैसे:- कर्म और कार्य  में  क+र्+म =2+1=3  और का+र्+य= 2+0+ 1= 3 यहाँ अर्ध अक्षर 'र्' ने अपने पहले के लघु मात्रिक अक्षर क को दीर्घ मात्रिक कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया जबकि कार्य में पहले से दीर्घ मात्रिक 'का' पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाया तथा स्वयं नगण्य हो गया।

अन्य उदाहरण:- शब्द=श+ब्+द= 2+1=3 अच्छा=अ+च्+छा=2+2=4, मिट्टी= मि+ट्+टी=2+2=4, उर्जा=उ+र्+जा=2+2=4 प्रार्थना= प्+रा+र्+थ+ना=0+2+0+1+2=5


(b) आइये अर्ध अक्षरों के मध्य में आने का कुछ अनुपम प्रयोग देखें, जिनमें अर्ध अक्षर अपने पहले या बायें के अक्षर पर बीच में आने पर भी उपरोक्त वर्णित नियमानुसार कोई प्रभाव नहीं डालता। और मात्रा भार गिनती में नगण्य हो जाता है। कई लोग इसे अपवाद समझते हैं जबकि सच्चाई ये है कि बोलने में इन शब्दों में अर्ध अक्षर का भार अपने से पहले यानि बायें के अक्षर पर न पड़कर अपने के बाद यानि दायें के अक्षर पर पड़ता है। और दायें के अक्षरों पर नियमत: प्रभाव माना नहीं जाता।

जैसे:- तुम्हारा, तुम्हें, उन्हें, कन्हैया, जिन्हें, जिन्होंने , कुम्हार।

तुम्हारा=तु+म्हा+रा=1+2+2=5, तुम्हें=तु+म्हें=1+2=3

उन्हें=उ+न्हें=1+2=3 

इन सभी में अर्ध अक्षरों का उच्चारण 'ह' के साथ है।


(3) अनुनासिक अक्षरों का मात्रा भार:-

नोट:- रंग, भंग, ढंग,संत, महंत, संभव, अचंभा आदि शब्दों को अलग श्रेणी में रखकर कहीं जगह मात्रा भार बताया जाता है जबकि इसकी ऐसी आवश्यकता है नहीं। दरअसल

जब हम इन शब्दों को बोलते हैं तो पाते हैं कि इन शब्दों के साथ "अं की मात्रा या अर्ध अक्षर न् या म् " जुड़ा रहता है।

तो ऐसे मे यदि अं मात्रा के कारण है तो दीर्घ मात्रिक स्वर होने के कारण जिस व्यंजन से जुड़ेगा उसे दीर्घ मात्रिक यानि गुरू भार कर देगा।और मात्रा भार 2 हो जायेगा। और यदि अर्ध अक्षर न् और म् के कारण है तो अर्ध अक्षर के प्रभाव के कारण बायें या पहले का अक्षर गुरू हो जायेगा।

अत: रंग, भंग, दंग, संत= 2+1=3 महंत= 1+2+1=4 संभव= 2+1+1= 4,अचंभा =1+2+2=5

नोट:- आधुनिक काल में कुछ लोग भंवर, संवर, छांव, दांव, कांव-कांव, ऐसे लिखने लगे हैं जिनका उच्चारण करने पर अर्ध अक्षर का स्वर स्पष्ट रूप से नहीं आता। इन्हें उस श्रेणी न मानकर साधारण तौर पर अनुनासिक शब्दों के आधार पर गणना की जानी चाहिये, जिसकी ध्वनि नाक से निकली प्रतीत होती है। 

भंवर, संवर= 1+1+1=3 छांव, कांव=2+1=3

चंद्र बिन्दी वाले शब्द अनुनासिक में आते हैं। जैसे:- बँधकर, चाँद, पाँव, सँभलकर, आदि अनुनासिक शब्दों का मात्रा भार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और इनकी गणना साधारण तरीके से की जाती है। जैसे:- बँधकर=1+1+1+1=4 गँवाकर=1+2+1+1=5


     //-------- इति मात्रा-भार --------//

     


----------#सभी आठ की #गणों की पहचान---------


एक शब्द है "#यमाताराजभानसलगा"_ इसे याद करना पड़ेगा। क्योंकि इसी में आठ गण के नाम और उनके पहचान करने का ढंग छिपा है।


#यगण_ :- सबसे पहले उपरोक्त शब्द का तीन अक्षर लें। तो शब्द होगा "#यमाता" यानि य से यगण पहला गण हुआ। यगण की पहचान "यमाता" पहला अक्षर ह्रस्व स्वर यानि लघु ,दूसरा दीर्घ स्वर यानि गुरु और तीसरा दीर्घस्वर यानि गुरु। यगण गण यानि यमाता 1+2+2 =5 जैसे:- नहाना, दिखाती बचाती, जमाना, सजाना, सलोनी, लड़ाकू, बिताना आदि सभी यगण हैं।


#मगण_:-अब उपरोक्त शब्द "यमाताराजभानसलगा" मे पहला अक्षर 'य' छोड़कर छोड़कर तीन अक्षर लें तो शब्द हुआ "#मातारा" यानि 'म' से मगण दूसरा गण हुआ और पहचान "मातारा" यानि तीनों अक्षर दीर्घ मात्रिक यानि गुरु हुये। मगण गण यानि मातारा- 2+2+2=6 जैसे:- आवारा, याराना, दीवाना, दीवानी, दोबारा, बंजारा, अंगारा,रीझाना, आदि।


#तगण_:-अब उपरोक्त शब्द से दो अक्षर छोड़े

तो शब्द होगा #"ताराज" यानि 'त' से तगण तीसरा गण हुआ। पहचान "ताराज" यानि प्रथम अक्षर गुरु, द्वितीय गुरु और तृतीय अक्षर लघु। तगण गण यानि ताराज- 2+2+1=5 जैसे:- नादान, सामान, श्रृंगार, चालाक, आकाश आदि। 


#रगण_:-"यमाताराजभानसलगा" में तीन अक्षरों को छोड़े तो आयेगा "#राजभा" 'रा' यानि 'र' से रगण चौथा गण हुआ। पहचान के लिए "राजभा" यानि गुरु-लघु-गुरु। रगण गण यानि राजभा- 2+1+2 =5 जैसे:- बालिका, राधिका, नाचना, भागना, रूकना, रूठना, कूदना, बीतना, भीगना आदि।


#भगण_:- अब " यमाताराजभानसलगा" पाँच अक्षर छोड़े तो शब्द बनेगा "#भानस" यानि 'भ' से भगण छठाँ गण हुआ और पहचान "भानस" गुरु-लघु-लघु। भगण गण यानि भानस- 2+1+1=4 जैसे:- बालक, नाहक, घातक, पीतल, घूँघट, राहत, सोहन, मोहन, मौलिक, भौतिक आदि


#नगण_:-अब छ: अक्षर छोड़ें तो शब्द बनेगा "#नसल" यानि 'न' से नगण सातवाँ गण हुआ और पहचान "नसल" यानि तीनों लघु भार । नगण गण यानि नसल- 1+1+1=3 जैसे:- महक, कमल, चलन, जलन,पलक, उतर, इतर, अमल आदि,


#सगण_:- अब सात अक्षर छोड़े तो शब्द बनेगा "#सलगा" यानि 'स' से सगण हुआ आठवाँ गण और पहचान लघु-लघु-गुरु।सगण यानि सलगा- 1+1+2=4 जैसे:- कमरा, बकरा, झगड़ा, लड़का , लड़की, गलती, चलती, झुकना, गणना, दरजी, पकड़ूँ , बदलो

अब इसे मापनी में ऐसे लिखा जायेगा। 1 मतलब लघु मात्रिक व 2 मतलब दीर्घ मात्रिक।

यगण:-  122 ,मगण:- 222, तगण:- 221,

रगण:- 212,  जगण:- 121, भगण:-211,

नगण :-111, सगण:- 112

पुरुषोत्तम फौजदार 'दादा' आगरा।

9412341733

Friday, May 28, 2021

गीत गाँव आता याद

 #गीत #अवधेश_के_गीत #अवधेश_की_कविता 


#गाँव_आता_याद_मुझको_जब_हुई_तन्हाई_है 


गाँव आता याद मुझको जब हुई तन्हाई है ।

शाम है जब ये सुहानी, श्याम बदली छाई है ।


आज फिर यादें पुरानी, अब मुझे भी आ रहीं ।

गाँव का घर और गलियाँ, मन पटल पर छा रहीं ।


खेत की मिट्टी बहुत खुश, अब हवा पुरवाई है ।

गाँव आता याद .....


ताल के वो घाट कहते, फिर नहाने आइए ।

पेड़ पर चढ़कर मुरलिया, फिर सुनाकर जाइए ।


नीम पीपल जाम जामुन, वृक्ष हैं अमराई है ।

गाँव आता याद ......


द्वार पे माँ संग बैठें,पास की सब चाचियां ।

बात बहुओं की चले तो, बोलतीं सब दादियां ।


गाँव की चौपाल पर ही, हो रही सुनवाई है ।

गाँव आता याद ......


लिप रहे आँगन सभी के, पुत रहीं दीवार हैं ।

हाट में है भीड़ कितनी, सज रहे बाजार हैं ।


दीपमालाएं जलीं हैं, फिर दिवाली आई है ।


गाँव आता याद ....


बज रहे घुँघरू छनक छन, थाप ढोलक पर पड़ी ।

नृत्य में तल्लीन भाभी, फिर बहन दर पे खड़ी ।


आ गई बारात कोई, बज रही शहनाई है ।


गाँव आता याद ....


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 23022021

शिवपुरी मध्य प्रदेश

कविता हो गई बेटी पराई